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16 बैंकों का 1600 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड कब्जे में

सिरमौर जिला के पांवटा साहिब में इंडियन टेक्नोमेक कंपनी में हुए महाघोटाले में 16 बैंको का रिकॉर्ड कब्जे में लिया गया है।

By Edited By: Published: Thu, 11 Oct 2018 06:17 PM (IST)Updated: Fri, 12 Oct 2018 08:34 AM (IST)
16 बैंकों का 1600 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड कब्जे में
16 बैंकों का 1600 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड कब्जे में

शिमला, रमेश सिंगटा। सिरमौर जिला के पांवटा साहिब में इंडियन टेक्नोमेक कंपनी में हुए छह हजार करोड़ रुपये से अधिक के कर कर्ज महाघोटाले में सीआइडी ने 16 बैंकों का 1600 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड कब्जे में लिया है। सूत्रों के अनुसार महाघोटाले के आरोपितों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के बाद अब सीबीआइ की भी पैनी निगाह है। हिमाचल सीआइडी ने सीबीआइ के माध्यम से मुख्य आरोपित का लुकआउट नोटिस जारी कर दिया है। कई और संदिग्धों का लुकआउट नोटिस जारी करने की तैयारी है। ईडी पहले ही मनी लॉंड्रिंग से जुड़े पहलुओं पर जांच कर रहा है।

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अब इंडियन टेक्नोमेक के कर्ताधर्ताओं पर कानूनी शिकंजा कड़ा हो गया है। देश के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों को भी अलर्ट पर रखा गया है। सीआइडी की एसआइटी मामले की गहनता से जांच आगे बढ़ा रही है। इसकी निगरानी एडीजीपी अशोक तिवारी कर रहे हैं। एसआइटी में जांच में माहिर अधिकारियों को शामिल किया गया है। इसके मुखिया एसपी रैंक के अधिकारी हैं। कंपनी का मुख्य आरोपित राकेश कुमार शर्मा विदेश भाग गया है। वह अभी तक जांच एजेंसियों के हत्थे नहीं चढ़ पाया है। कंपनी के कई पूर्व अधिकारियों व निदेशकों को गिरफ्तार किया गया है। अब मुख्य आरोपित भी सलाखों के पीछे होंगे। इसके लिए पूरी तैयारी की गई है।

आरोपित का पासपोर्ट रेड अलर्ट पर लुकआउट नोटिस जारी होने पर किसी भी आरोपित का पासपोर्ट रेड अलर्ट पर रहता है। जैसे ही आरोपित भारत से विदेश जाने की तैयारी करेगा, वह हवाई अड्डे पर पकड़ में आ जाएगा। इसी तरह विदेश से वापस भारत आने पर भी यही प्रक्रिया लागू रहती है। इस नोटिस में आरोपित का पूरा हुलिया, फोटो आदि होता है। यह नोटिस गुम हुए व्यक्ति या फिर आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त लोगों के लिए जारी होता है। इसे देश की नामी जांच एजेंसियां जारी करती हैं।

संबंधित राज्यों की पुलिस व जांच एजेंसी गृह मंत्रालय के माध्यम से पत्राचार करती हैं। ईडी कर रही जांच इंडियन टेक्नोमेक कंपनी कई राज्यों में कार्य कर रही थी। कंपनी कलपुर्जे बनाती थी। हिमाचल में घोटाला सामने आने पर कंपनी ने सभी जगह अपनी शाखाएं बंद कर कारोबार समेट लिया। घोटाले का पैसा विदेश में निवेश किया गया था। इस मामले की जांच ईडी कर रही है। प्रदेश सरकार की सिफारिश पर ही यह मामला ईडी के पास पहुंचा था। कंपनी को नहीं मिली राहत आबकारी एवं कराधान विभाग की आर्थिक सतर्कता टीम ने 18 फरवरी 2014 को कंपनी के दस्तावेज जांचे।

यह पाया गया कि जब से पांवटा में कंपनी की शुरुआत हुई, तब से ही करों की चोरी हो रही थी। शुरू में 72 करोड़ रुपये की कर चोरी पकड़ी गई। घोटाले का पर्दाफाश आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारी गणेश ठाकुर ने किया था। कंपनी पर भारी पेनल्टी लगाई गई। करों व पेनल्टी की राशि 2200 करोड़ तक पहुंच गई थी। कंपनी पहले अपीलीय प्राधिकरण में और बाद में हाईकोर्ट गई मगर दोनों ही जगह हार गई। कंपनी को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिल पाई थी।


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