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बागियों ने बढ़ाई जिला परिषद प्रत्याशियों का मुश्किलें, मनाने में जुटे नेता

जागरण संवाददाता शिमला जिला परिषद चुनाव को लेकर जिले में सियासी पारा चढ़ गया है। जिला पि

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Jan 2021 07:28 PM (IST)Updated: Mon, 04 Jan 2021 07:28 PM (IST)
बागियों ने बढ़ाई जिला परिषद प्रत्याशियों का मुश्किलें, मनाने में जुटे नेता
बागियों ने बढ़ाई जिला परिषद प्रत्याशियों का मुश्किलें, मनाने में जुटे नेता

जागरण संवाददाता, शिमला : जिला परिषद चुनाव को लेकर जिले में सियासी पारा चढ़ गया है। जिला परिषद की 24 सीटों के लिए 107 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। भाजपा और कांग्रेस ने अपने समर्थित प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे हैं। लेकिन दोनों ही पार्टियों के बागियों ने प्रत्याशियों की जीत का गणित बिगाड़ दिया है।

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चुनावी मैदान में कई प्रत्याशी ऐसे हैं जो कांग्रेस और भाजपा से जुड़े हुए हैं, इसके अलावा कई ऐसे हैं जो इन पार्टियों के अग्रणी संगठनों (फ्रंटल आर्गेनाइजेशन) में काम कर चुके हैं। पार्टी द्वारा प्रत्याशी न बनाए जाने के बाद इन्होंने बागी होकर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। छह जनवरी को नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तारीख है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने बागियों को मनाने के लिए कवायद शुरू कर दी है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को बागियों को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके लिए गांवों में बैठकों का दौर चला हुआ है। स्थानीय विधायक इन बैठकों का पूरा फीडबैक ले रहे हैं। हालांकि छह जनवरी को ही यह तय होगा कि कौन उम्मीदवार चुनावी मैदान में बचते हैं। अध्यक्ष की कुर्सी पर हैं नजरें

दोनों ही दलों की नजरें जिला परिषद के अध्यक्ष की कुर्सी पर हैं। रोस्टर के हिसाब से इस बार जिला परिषद अध्यक्ष सामान्य महिला को बनाया जाना है। जिला परिषद के आठ वार्ड हैं जिनमें ओपन महिला के लिए सीट आरक्षित है। सभी आठ वार्ड हॉट सीट बने हुए हैं। विधायकों की प्रतिष्ठा भी दांव पर

कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही दलों ने इसके लिए मजबूत समर्थित प्रत्याशी उतारे हैं। इनमें त्यावल-ज्यूरी, झाखड़ी, खशधार, टिक्कर, मझोली, चमियाणा, जुन्गा और हलोग धामी वार्ड शामिल हैं। दोनों ही दलों का पूरा फोकस इन सीटों पर है। राजनीतिक दल पंचायत व नगर निकाय के इन चुनाव को 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों से जोड़कर देख रहे हैं। इन चुनावों में विधायकों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है।


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