भाजपा में चार दिन से चल रहा था महामंथन
हिमाचल प्रदेश भाजपा में बुधवार को आए अध्यक्ष के त्यागपत्र पर महामंथन पिछले चार से पांच दिन चल रहा था। इसी कड़ी में भाजपा के हर प्रकोष्ठ को मंजूरी दे दी गई। रविवार को ही भाजपा के तीन प्रकोष्ठों की कार्यकारिणी को हरी झंडी दी। इसके बाद मंगलवार को भी दो अहम प्रकोष्ठों की राज्य कार्यकारिणी की घोषणा की।
रोहित नागपाल, शिमला
हिमाचल भाजपा में बुधवार को आए अध्यक्ष के त्यागपत्र पर महामंथन पिछले चार दिन चल रहा था। इसी कड़ी में भाजपा के हर प्रकोष्ठ को मंजूरी दे दी गई। रविवार को ही भाजपा के तीन प्रकोष्ठों की कार्यकारिणी को हरी झंडी दी। इसके बाद मंगलवार को भी दो अहम प्रकोष्ठों की राज्य कार्यकारिणी की घोषणा हुई। पार्टी में प्रकोष्ठों के अध्यक्षों की घोषणा बहुत समय पहले हो गई थी।
अचानक चार दिन मे सभी प्रकोष्ठों की कार्यकारिणी को हरी झंडी देना साफ संकेत दे रहा कि कहीं न कहीं पार्टी में बुधवार को जारी पत्र पर मंथन चल रहा था। सुबह तक पार्टी कार्यालय में किसी को कुछ भी भनक नहीं थी। पार्टी अध्यक्ष डॉ. राजीव बिदल भी पार्टी की ओर से केंद्र सरकार के एक साल के कार्यकाल पूरा होने पर होने वाले कार्यक्रमों को लेकर पार्टी नेताओं के साथ बैठक कर रहे थे। बैठक के बाद सभी नेता अपने कार्यो में व्यस्त रहे। इसी दौरान पार्टी अध्यक्ष की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष को त्यागपत्र भेज दिया गया। इस दौरान पार्टी ऑफिस में मौजूद अधिकतर नेता और कार्यकर्ता हैरान हो गए।
त्यागपत्र मंजूर हुआ तो कार्यकारी तौर पर मिलेगा किसी को जिम्मा
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि पार्टी अध्यक्ष का त्यागपत्र मंजूर हुआ तो किसी को कार्यकारी तौर पर कुछ समय के लिए जिम्मेदारी मिल सकती है। लेकिन ये संभावना तभी पैदा होगी यदि त्यागपत्र मंजूर किया जाता है।
..........
भ्रष्टाचार के तार भाजपा से जुड़ते ही बना था दबाव
स्वास्थ्य विभाग के निदेशक के कथित ऑडियो के बाद लगातार ही दवाब बन रहा था। विपक्ष की ओर से भी सीधे पार्टी और पार्टी के नेताओं पर सवाल उठाए जा रहे थे। ऐसे में लंबे समय तक विवाद को चलाना पार्टी के हित में नहीं था। सूत्रों की माने तो सीएम ऑफिस से लेकर पीटरहॉफ और ओकओवर में भी माहौल इस मामले में काफी गरमा चुका था। बैठकों में बढ़ रही तल्खी और आला नेताओं के दिल्ली जाने के दबाव के बाद से लगातार कोई फैसला लेना मजबूरी बन गया था। बुधवार को सुबह जब पार्टी के कार्यालय में काफी समय तक पदाधिकारियों के साथ बैठक हुई तो उस समय तक भी ऐसी कोई हलचल नहीं थी। बैठक के खत्म होने के बाद लगातार ही फोन बजने लगे। सूत्रों की माने तो बैठकों में बड़े नेताओं के बीच में बढ़ रही तलखी के साथ दिल्ली तक बात ले जाने तक की बातें भी हुई। दबाव को खत्म करने के लिए त्यागपत्र का रास्ता चुना गया। चार महीने ही अध्यक्ष रहे बिदल
डॉ. राजीव बिदल को पार्टी की कमान 20 जनवरी को सौंपी थी। इससे पहले भाजपा में किसी अध्यक्ष का त्यागपत्र इस तरह से नहीं हुआ। धूमल सरकार के समय तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष खिमी राम ने मंत्री बनने पर त्यागपत्र दिया था। वर्तमान में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बतौर पार्टी अध्यक्ष अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद ही मंत्री पद संभाला था। पूर्व अध्यक्ष सतपाल सत्ती ने तो एक नहीं बल्कि दो बार कार्यकाल पूरा किया है। मंत्री रहते डॉ. बिदल ने दिया था त्यागपत्र
डॉ. बिदल ने धूमल सरकार में स्वास्थ्य मंत्री के पद से भी त्यागपत्र दिया था। उस समय उनके मंत्रालय पर घोटालों के कई आरोप लगे थे। विपक्ष ने सदन के अंदर और बाहर दोनों स्थानों पर इसका जमकर विरोध किया था। 2012 में धूमल सरकार के अंतिम साल में चुनाव से छह माह पहले डॉ. बिदल ने स्वास्थ्य मंत्री के पद से त्यागपत्र तत्कालीन मुख्यमंत्री को सौंप दिया था। इसके बाद धूमल सरकार ने स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा नरेंद्र बरागटा को सौंपी थी। 2017 में भाजपा की सरकार बनने के बाद डा. बिदल को विधानसभा का अध्यक्ष बनाया था। डॉ. बिदल विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद जनवरी 2020 में इस जिम्मे से त्यागपत्र देने के बाद भारमुक्त हुए। इसके बाद इन्होंने पार्टी के अध्यक्ष का जिम्मा संभाला था।
.........
बिदल ने बार-बार आरोप लगने से बेहतर समझा इस्तीफा देना : जयराम
कहा, दोषियों को नहीं छोड़ेगी सरकार, होगी कड़ी कार्रवाई, इस्तीफे पर जेपी नड्डा लेंगे फैसला
..........
ऑडियो मामले में हिमाचल सरकार दोषियों को किसी भी सूरत में नहीं छोड़ेगी। हर हाल में कड़ी कार्रवाई होगी। विजिलेंस जांच पूरी तरह से निष्पक्ष होगी। यह बात मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बुधवार को शिमला में पत्रकारों से की। उन्होंने कहा कि डॉ. बिदल ने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की बात कही है। उन्होंने इस्तीफा दे दिया है। अब इस पर अंतिम फैसला पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा लेंगे। इससे ज्यादा इस मामले में टिप्पणी करना उचित नहीं है। सारे विषय को विपक्ष अनावश्यक रूप से तूल दे रहा है। जहां तक बिदल का सवाल है, लोग बार-बार आरोप लगाते रहे, इससे बेहतर उन्होंने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना उचित समझा। आगामी फैसला भाजपा आलाकमान लेगा। ऑडियो मामले में निष्पक्ष जांच हो रही है। मैं इस बात पर कायम हूं कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी। बिदल के इस्तीफे से भ्रष्टाचार मुक्त नहीं होगी भाजपा: कांग्रेस
कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर व कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने डॉ. बिदल इस्तीफे पर कहा कि देश व प्रदेश में कोरोना महामारी के चलते भाजपा स्वास्थ्य विभाग में हुए घोटाले और भ्रष्टाचार के पाप से मुक्त नहीं हो सकती। इस्तीफे से कांग्रेस के प्रदेश सरकार पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध होते हैं। चूंकि स्वास्थ्य विभाग मुख्यमंत्री के पास ही है, इसलिए वह भी नैतिक जिम्मेदारी से नहीं बच सकते। अभी तो भ्रष्टाचार की एक पोल ही खुली है आगे आने वाले समय में तो कई परते खुलेगी। घोटालों में ओर भी कई बड़े नेता शामिल हो सकते हैं। कांग्रेस को विजिलेंस जांच पर भरोसा नहीं है, इसलिए इसकी जांच उच्च न्यायालय के किसी सिटिंग जज से करवाई जानी चाहिए।