रैन बसेरा मांग रहा आसरा
सर्दी बढ़ने के साथ बेसहारा लोगों की दुश्वारियां बढ़ गई हैं नगर निगम रेन बसेरों के नाम पर बनाए गए भवन में अपना कार्यालय चला रहा है।
जागरण संवाददाता, शिमला : सर्दी बढ़ने के साथ जरूरतमंद लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। नगर निगम शिमला रैन बसेरे के नाम पर बनाए गए भवन में अपना कार्यालय चला रहा है और जरूरतमंद लोग खुले आसमान के नीचे रातें गुजारने को मजबूर हो रहे हैं न तो नगर निगम इसकी परवाह कर रहा है और न ही सरकार सुध ले रही है। प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सड़क पर रात गुजारने को मजबूर लोगों को शिमला के लक्कड़ बाजार स्थित रैन बसेरे में आसरा तो दे दिया, लेकिन उसकी हालत यह है कि न तो खिड़कियों में शीशे हैं और न ही खिड़कियां अच्छे से बंद होती हैं, जिस कारण बर्फीली हवाएं कमरों के अंदर आ जाती है। रैन बसेरे के अंदर गंदगी पसरी है। कटे-फटे गद्दे, टूटी खिड़कियां, पीने को पानी नहीं, शौचालय की हालत खराब है। दिनभर मजदूरी और रिक्शा चलाने वाले लोगों का एकमात्र आश्रय स्थल यही रैन बसेरा है, लेकिन नगर निगम की उपेक्षा का शिकार इस रैन बसेरे में अव्यवस्था है। रैन बसेरा में सैहब सोसायटी का कार्यालय खोल दिया है। ऐसे में लोगों को एक ही कमरे में रखा जा रहा है।
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जरूरतमंद सैकड़ों, 15 को आसरा
राजधानी शिमला में ऐसे लोग सैकड़ों हैं, जो रातें बस स्टैंड या फिर अस्पतालों के परिसर में काटते हैं, लेकिन नगर निगम मात्र 15 लोगों को ही आश्रय दे पाया है। जिन लोगों को नगर निगम ने छत दी है उनके सोने के लिए मात्र एक पतली से थर्मोकोल की शीट दी गई है और एक कंबल दिया है, जिससे सर्द रातें गुजारना मुश्किल है।
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छह लेबर हॉस्टल, उनकी हालत भी खस्ता
नगर निगम के पास शिमला में छह लेबर हॉस्टल हैं, जिनमें एक लालपानी, लक्कड़ बाजार, फागली, शिली चौक, चौड़ा मैदान, कोर्ट हिल में है, लेकिन सभी की हालत खस्ता है। हालांकि इसमें रहने वाले लोगों से बाकायदा किराया वसूला जाता है। बावजूद इसके कोई इसकी सुध नहीं ले रहा है। चौड़ा मैदान स्थित लेबर हॉस्टल में 63 लोग रह रहे हैं, जबकि कोर्ट हिल में 75 लोगों के रहने की व्यवस्था है। इन दोनों हॉस्टलों में 15-15 लोगों की अतिरिक्त व्यवस्था की जा रही है।