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पहाड़ नहीं लांघ पाई रेल

हिमाचल में दोनों ओर निर्माण शुरू हो गया है। दोनों राज्यों में भूमि अधिग्रहण कार्य शुरू हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Jan 2020 07:16 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jan 2020 06:13 AM (IST)
पहाड़ नहीं लांघ पाई रेल
पहाड़ नहीं लांघ पाई रेल

प्रकाश भारद्वाज, शिमला

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दो दशक से भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेललाइन की चर्चा हो रही है। आखिर पंजाब व हिमाचल में दोनों ओर इसका निर्माण शुरू हुआ है। दोनों राज्यों में भूमि अधिग्रहण कार्य शुरू हो गया है। पुल व सुरंगों के डिजाइनों को अंतिम रूप दिया जा चुका है। चार सुरंगों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 63.1 किलोमीटर रेललाइन हिमाचल के बैरी तक बिछाई जाएगी। बैरी से लेह तक सामरिक दृष्टि के तहत रक्षा रेललाइन होगी।

देश की सर्वाधिक महत्वपूर्ण रेललाइन के लिए रेल विकास निगम का गठन किया है, जिसका मुख्यालय चंडीगढ़ में स्थापित किया है। इसके अलावा औद्योगिक क्षेत्र बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ को रेल से जोड़ने के लिए हरियाणा सरकार तैयार हो गई है। करीब 28 किलोमीटर लंबी लाइन के लिए भूमि अधिग्रहण कार्य जारी है।

इन दो परियोजनाओं को छोड़ दें तो नंगल-तलवाड़ा और जगाधरी-पावंटा साहिब लाइन के लिए रेलवे बोर्ड के पास प्रस्ताव भेजे गए या आरंभिक सर्वेक्षण पूरे हुए हैं। ऊना से हमीरपुर लाइन का आरंभिक सर्वे हो चुका है, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पाई है।

राज्य में रेल विस्तार की राह में लागत की हिस्सेदारी सबसे बड़ी बाधा है। आर्थिक बदहाली से जूझ रही हिमाचल सरकार के लिए वित्तीय हिस्सेदारी करना बस में नहीं है। वहीं रेलवे बोर्ड नई परियोजनाओं के लिए बराबर हिस्सेदारी के पक्ष में है। एक दशक पहले 2967 करोड़ थी लागत

भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेल लाइन की 2008-09 में प्रस्तावित लागत 2967 करोड़ रुपये थी। केंद्र ने इस परियोजना के लिए 75:25 का अनुपात निर्धारित किया था। एक दशक से अधिक समय गुजर जाने के बाद इस परियोजना की लागत चार हजार करोड़ से अधिक होने का अनुमान है। भूमि अधिग्रहण के लिए 70 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने की स्थिति में पैसा केंद्र सरकार को वहन करना था। 63.1 किमी लंबी लाइन का अधिकांश हिस्सा 49.2 किमी हिमाचल में आता है, जबकि शेष पंजाब में। पंजाब में भूमि अधिग्रहण कार्य पूरा होने के बाद तीन से पांच किलोमीटर में लाइन बिछाने का कार्य शुरू हो चुका है। प्रदेश में जगातखाना तक भूमि अधिग्रहण हो चुका है। इस लाइन पर 2018 में 168.2, जबकि 2019 में 162 करोड़ रुपये खर्च हुए। हरियाणा के राजी होने से राहत

चंडीगढ़ से बद्दी तक लाइन बिछाने के लिए पड़ोसी हरियाणा तैयार हुआ। छह जून 2019 को विशेष रेल परियोजना घोषित होने के बाद पड़ोसी राज्य माना। 2007-08 में इस लाइन की 1672.70 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत थी। 27.95 किमी लंबी लाइन के लिए केंद्र ने वित्तीय खर्च की 50:50 फीसद हिस्सेदारी तय की। हरियाणा की तरफ से 4.9 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण हो चुका है। हरियाणा सरकार 187.64 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है, जबकि हिमाचल 47 करोड़ रुपये।

तीन रेल परियोजनाएं फाइलों में

- ऊना से हमीरपुर 54.1 किमी रेल लाइन का मामला नीति आयोग के पास पड़ा है। 5821.47 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत की इस परियोजना में आरंभिक सर्वेक्षण हुए।

-नंगल-तलवाड़ा लाइन में दौलतपुर चौक से आगे का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड के पास गया है। दौलतपुर से तलवाड़ा तक निर्माण की 2100 करोड़ रुपये प्रस्तावित लागत है।

- जगाधरी से पांवटा साहिब 50 किमी लाइन के लिए रेलवे बोर्ड ने 2014 में सर्वेक्षण करवाया।

- बैरी से लेह लाइन को सामरिक दृष्टि से रक्षा रेल लाइन घोषित किया है। रेलवे बोर्ड का आरंभिक सर्वे चल रहा है।

- 1965 में ऊना से होशियारपुर वाया जेजों को रेल मार्ग से जोड़ने के लिए सर्वे हुआ था। उसके बाद इस परियोजना पर कोई कदम नहीं उठाया गया। -------

हिमाचल में रेल विस्तार होने से पर्यटन को सीधा लाभ होगा। रेलवे बोर्ड हर परियोजनाओं की आर्थिक उपयोगिता का आकलन करता है। उसके बाद राज्य सरकार से हिस्सेदारी पर बात होती है। कई तरह के पहलुओं को देखने के बाद ही रेल लाइनें धरातल पर उतरती हैं। राज्य की दो परियोजनाओं पर काम शुरू हो चुका है। शेष पर रेलवे बोर्ड आकलन कर रहा है।

- जेसी शर्मा, प्रधान सचिव परिवहन।


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