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डीसी ने पूछा, वीरभद्र कैसे बने आजीवन चेयरमैन

पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की कुलदेवी भीमाकाली हैं। उनके आजीवन चेयरमैन बनने पर सवाल उठे हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 11:15 PM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 11:15 PM (IST)
डीसी ने पूछा, वीरभद्र कैसे बने आजीवन चेयरमैन
डीसी ने पूछा, वीरभद्र कैसे बने आजीवन चेयरमैन

जागरण संवाददाता, शिमला : पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की कुलदेवी भीमाकाली हैं। वीरभद्र भीमाकाली मंदिर सेवा ट्रस्ट सराहन के आजीवन चेयरमैन हैं। लेकिन उनके आजीवन चेरयमैन बनने की अब जिला प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है। शिमला के उपायुक्त अमित कश्यप ने प्रदेश भाषा एवं संस्कृति विभाग के सचिव को पत्र लिखकर पूछा है कि किस अधिसूचना के मुताबिक उन्हें आजीवन चेयरमैन बनाया गया है? अगर ऐसी कोई अधिसूचना है तो जिला प्रशासन को भेजी जाए।

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किसी मंदिर ट्रस्ट का कोई आजीवन चेयरमैन नहीं बन सकता है। भीमाकाली मंदिर सेवा ट्रस्ट सराहन में वीरभद्र के करीबी भी सदस्य बने थे। एक ट्रस्टी ने मंदिर की जमीन पर कब्जा भी किया है। हालांकि अभी तक उपायुक्त के पत्र का जवाब नहीं आया है पर अफसरशाही में इस मामले की जांच को लेकर हलचल पैदा हो गई है। वर्ष 1984 में वीरभद्र को आजीवन चेयरमैन बनाया गया था। इसके बाद वहीं इस पद को संभाल रहे हैं। लेकिन आज तक भाषा एवं संस्कृति विभाग ने जांच करने की हिम्मत नहीं की कि वे आजीवन चेयरमैन कैसे बन गए? नहीं आया पत्र का जवाब

पत्र लिखा है कि किन नियमों के तहत वीरभद्र सिंह आजीवन चेयरमैन बने हैं। फिलहाल कोई जवाब नहीं आया है।

अमित कश्यप, उपायुक्त शिमला पूर्वज करते थे मंदिर का संचालन

भीमाकाली मंदिर हमारे पूर्वजों का है। भीमाकाली हमारी कुलदेवी हैं। काफी समय से वीरभद्र सिंह मंदिर ट्रस्ट के चेयरमैन हैं। कुछ वर्ष पूर्व ही सरकार ने मंदिर का अधिग्रहण किया है। इससे पहले हमारे पूर्वज ही इस मंदिर का संचालन करते थे।

विक्रमादित्य सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे एवं विधायक शिमला ग्रामीण एसडीएम या उपायुक्त होते हैं चेयरमैन

हिमाचल प्रदेश में मंदिर अधिग्रहण नियमानुसार मंदिर ट्रस्ट के चेयरमैन एसडीएम, कमिश्नर या उपायुक्त होते हैं। तीन वर्ष के लिए चेयरमैन बनाए जाते थे पर नए नियमों के मुताबिक पांच वर्ष का कार्यकाल तय किया गया है। पहले ट्रस्ट के सदस्यों की संख्या तय नहीं थी। लेकिन अब अधिकतम संख्या 35 तय की गई है। खुद आजीवन चेयरमैन बने थे वीरभद्र

भीमाकाली मंदिर सेवा ट्रस्ट के अधीन छह से अधिक मंदिर हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह खुद आजीवन चेयरमैन बने थे। उनके परिवार के सदस्य व अन्य चहेते ट्रस्ट के सदस्य हैं। इसके पीछे तर्क यह है कि यह मंदिर वीरभद्र सिंह के पूर्वजों की कुलदेवी का है और इसका रखरखाव वही करते थे। मंदिर ट्रस्ट की भूमि पर कब्जा

रोहड़ू काग्रेस के एक नेता ने अपने राजनीतिक प्रभाव व रसूख के कारण भीमाकाली मंदिर सेवा ट्रस्ट की भूमि पर जबरन कब्जा कर वहां मकान का निर्माण कर दिया। अवैध रूप से बिजली व पानी के कनेक्शन भी लिए गए। स्थानीय लोगों द्वारा बार-बार शिकायत करने के बाद भी प्रशासन ने इस नेता के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। 1984 में बना ट्रस्ट

आजादी के दौरान रामपुर बुशहर की रियासत के शासकों ने भूदान यज्ञ बोर्ड का गठन किया था। 1984 में इसे भीमाकाली मंदिर सेवा ट्रस्ट बना दिया गया। इसमें रोहड़ू व रामपुर क्षेत्र के आजादी से पूर्व बने कई भवनों, मंदिरों व रियासत की जमीनों को समाहित कर दिया गया। मंदिर ट्रस्ट की इन जमीनों व सपंत्तियों को क्षेत्र के मुजारों, मंदिरों के पुजारियों व भवनों के केयरटेकर को खेतीबाड़ी के इस्तेमाल के लिए दिया गया था। ऐसे सामने आया मामला

प्रदेश में जयराम सरकार बनने के बाद मंदिर ट्रस्टों में नए सदस्यों को मनोनीत करने की प्रक्रिया शुरू होनी थी। इसके लिए हर उपायुक्त ने जिले में मंदिर ट्रस्टों का रिकॉर्ड मांगा। इसी कड़ी में शिमला के उपायुक्त ने छानबीन शुरू की तो भीमाकाली मंदिर सेवा ट्रस्ट सराहन में वीरभद्र सिंह के आजीवन चेयरमैन बनने का मामला सामने आया।


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