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जैविक खेती से खुशहाली, भर ली जेब खाली

पहाड़ों में जैविक खेती के कमाल से हिमाचल के किसान मालामाल होने लगे हैं। बड़ी बात यह है कि प्रदेश में तैयार हो रही सब्जियों ने दिल्ली की मार्केट में जगह बना ली है।

By Munish DixitEdited By: Published: Sat, 14 Jul 2018 02:53 PM (IST)Updated: Sat, 14 Jul 2018 02:53 PM (IST)
जैविक खेती से खुशहाली, भर ली जेब खाली
जैविक खेती से खुशहाली, भर ली जेब खाली

सोलन [सुनील शर्मा]: पहाड़ों में जैविक खेती के कमाल से हिमाचल के किसान मालामाल होने लगे हैं। बड़ी बात यह है कि प्रदेश में तैयार हो रही सब्जियों ने दिल्ली की मार्केट में जगह बना ली है। सोलन के अमर चंद शर्मा की मेहनत से यह संभव हो पाया है। उनसे प्रेरणा लेकर शिमला, सोलन व सिरमौर के करीब 2500 किसान जैविक खेती से जुड़ चुके हैं।

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सलोगड़ा पंचायत के मनसार गांव के अमर चंद के लिए यहां तक का सफर इतना आसान नहीं रहा। कभी वह भी रासायनिक खेती करते थे। परिवार की आय का यही साधन था। वर्ष 2007 में नए प्रयास शुरू किए। सरकार द्वारा जागरुकता के लिए भेजी गई एनजीओ (गैर सरकारी संस्था) ने उनके जीवन में बड़ा बदलाव लाया। परिवार व लोगों के बिगड़ते स्वास्थ्य को देखकर उन्होंने जैविक खेती शुरू करने का मन बनाया।

तीन साल निराशा के बाद हाथ लगी कामयाबी

पहले तीन साल तक उन्हें निराशा हाथ लगी। चौथा साल खुशियां लेकर आया। तब से सिलसिला आगे बढ़ता गया। अब अधिकतर सब्जियां हाथों-हाथ बिक जाती हैं। दिल्ली की एक कंपनी रोज 40 क्विंटल सब्जी यहां से ले जाती है। जब सब्जियों की मांग बढ़ी तो अपनी पंचायत और साथ लगती पडग़ पंचायत का करीब 260 हेक्टेयर क्षेत्र जैविक खेती को समर्पित कर दिया। वनसर्ट एशिया एजेंसी बंगलुरू ने गडग़ व सलोगड़ा पंचायत जैविक क्षेत्र सर्टिफाइड किया है।

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दिल्ली से पहुंच रहे खरीदार

अमर चंद ने बताया कि जब जैविक खेती शुरू की तो बिल्कुल अकेले थे। धीरे-धीरे लोगों को जोड़ा। दिल्ली से लोग उनके घर सब्जियां खरीदने पहुंच रहे हैं। मंडियों में जो मूल्य सबसे अधिक होता है, उसी दर पर दिल्ली की कंपनी खरीद करती है। इससे तैयार सब्जी को मंडी ले जाना व अन्य तरह की चिंताएं उन्हें नहीं हैं।

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सालाना छह लाख आमदनी

अमर चंद बताते हैं कि पहले शिमला मिर्च व टमाटर उगाते थे। जब कारोबार ने तेजी पकड़ी तो मटर, खीरा, आलू, गोभी, मक्का व गेहूं उगाना शुरू कर दिया। 18 बीघा निजी जमीन पर जैविक खेती कर रहे हैं। इससे सालाना करीब छह लाख की आय हो रही है। खाद व दूसरी जरूरतें स्थानीय स्तर पर पूरी हो जाती हैं।

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2016 में मिला बेस्ट फार्मर अवार्ड

जैविक खेती की दिशा में बेहतर काम करने और लोगों को जागरूक करने के लिए हिमाचल कृषि विभाग ने अमर चंद को 2016 के बेस्ट फार्मर अवार्ड से नवाजा। वह इस अभियान से लोगों को जोड़ते हैं और उनका उस समय तक मार्गदर्शन करते हैं, जब तक उनका काम नियमित नहीं चलता।

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-किसान अमर चंद शर्मा जैविक खेती करने और इसके लिए लोगों को प्रेरित करने में सराहनीय काम कर रहे हैं। उनको कृषि विभाग बेहतर कार्यों के लिए सम्मानित कर चुका है।

-धर्मपाल गौत्तम, विषयवाद विशेषज्ञ, सोलन


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