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जंगलों के जल से समृद्ध होंगे अन्नदाता

प्रदेश सरकार ने जल संरक्षण से जुड़े नए एकीकृत विकास प्रोजेक्ट (आइडीपी) को मंजूरी दे दी है। यह प्रोजेक्ट 700 करोड़ का होगा। इसे विश्व बैंक की सहायता से चलाया जाएगा। सोमवार को कैबिनेट ने इस पर मुहर लगा दी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Sep 2019 09:10 PM (IST)Updated: Mon, 16 Sep 2019 09:10 PM (IST)
जंगलों के जल से समृद्ध होंगे अन्नदाता
जंगलों के जल से समृद्ध होंगे अन्नदाता

राज्य ब्यूरो, शिमला : प्रदेश सरकार ने जल संरक्षण से जुड़े नए एकीकृत विकास प्रोजेक्ट (आइडीपी) को मंजूरी दे दी है। यह प्रोजेक्ट 700 करोड़ रुपये का होगा। इसे विश्व बैंक की सहायता से चलाया जाएगा। सोमवार को मंत्रिमंडल ने इस प्रोजेक्ट पर मुहर लगा दी। इससे प्रदेश के 10 जिलों की 428 पंचायतें लाभान्वित होंगी। इसके जरिये अब जंगलों के जल से समृद्धि आएगी।

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राज्य सरकार वन क्षेत्रों के जलस्रोतों का संरक्षण करेगी। जंगलों का पानी किसानों के खेतों तक पहुंचाया जाएगा। इससे अन्नदाता समृद्ध होंगे। इस पानी से कृषि उत्पादों में बढ़ोतरी होगी। इससे किसानों की आय में बढ़ोतरी हो सकेगी। इस सिलसिले में विश्व बैंक की टीम ने हाल ही में सरकार के साथ चर्चा की थी। नए साल के आरंभ में समझौता होगा। इससे पहले वन विभाग को प्रोजेक्ट इम्प्लीमेंट प्लान और इन्वायरनमेंट फ्रेमवर्क दस्तावेज तैयार करना होगा। इस कार्य के लिए कन्सलटेंट नियुक्त होंगे। आइडीपी मिड हिमालय वाटरशेड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की जगह लेगा। पुराना प्रोजेक्ट बंद हो गया है। केंद्रीय आर्थिक मामलों के मंत्रालय ने 26 जुलाई 2017 को विश्व बैंक की सहायता से संचालित होने वाले आइडीपी को स्वीकृति प्रदान की थी। यह किन्नौर और लाहुल को छोड़कर शेष 10 जिलों में आरंभ होगा। बंजर खेत फसलों से लहलहाएंगे

सरकार ने जंगलों में जल की कीमत को पहचाना है। वहां जलस्त्रोतों को पुनर्जीवित कर टिकाऊ बनाया जाएगा। इस पानी से खेतों में सिचाई की सुविधा होने के बाद बंजर खेत भी फसलों से लहलहाएंगे। इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसानों की आय दोगुनी करने के सपने को भी पंख लग सकेंगे। उन्होंने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। नए प्रोजेक्ट में कृषि, पशुपालन, पंचायती राज, ग्रामीण विकास जैसे कई विभागों का जुड़ाव होगा। वन विभाग नोडल एजेंसी होगा। एक छत के नीचे कई विभाग कई प्रकार की गतिविधियां चला सकेंगे।

जंगलों के जल का संग्रहण कर उसे खेतों तक पहुंचाया जाएगा। इससे किसानों की आय में इजाफा हो सकेगा। इसके लिए पूरा ढांचा मिड हिमालय प्रोजेक्ट का इस्तेमाल होगा लेकिन कंसेप्ट पहले से हटकर रहेगा।

एचके सर्वटा, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, आइडीपी


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