आइजीएमसी में ऑक्सीजन के बिना तड़पते रहे मरीज
हिमाचल के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में मरीजों को ऑक्सीजन के लिए काफी दिक्कत हुई।
शिमला, जेएनएन। हिमाचल के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) शिमला में प्रशासन की लापरवाही का मामला सामने आया है। मेडिसिन वार्ड में ऑक्सीजन न मिलने के कारण मरीजों की जान पर बन आई। ज्यादातर मरीज काफी देर तक तड़पते रहे। कई मरीजों के मुंह से झाग निकलना शुरू हो गया। आइजीएमसी में ऑक्सीजन प्लांट भी लगा है।
वहां से वार्ड में पाइप बिछाई गई है लेकिन ऑक्सीजन लगाने के लिए मौके पर कोई स्टाफ नर्स नहीं थी। वार्ड ब्वॉय मरीजों को ऑक्सीजन लगाने की कोशिश कर रहा था लेकिन सही ढंग से पाइप नहीं लग पाई। इस कारण मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिली। इसके बाद ऑक्सीजन सिलेंडर का सहारा लेना पड़ा। वार्ड ब्वॉय कुछ देर एक मरीज को तो कुछ देर दूसरे मरीज को ऑक्सीजन लगा रहा था। वार्ड में ऑक्सीजन का सिलेंडर भी एक ही भरा था।
हैरानी की बात है कि स्थिति इतनी बिगड़ने के बावजूद अस्पताल से अन्य सिलेंडरों का प्रबंध नहीं किया गया। सोमवार सुबह पांच बजे स्थिति बिगड़ने के बाद करीब सात बजे तकनीशियन और नर्स के पहुंचने के बाद स्थिति सुधरी। थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद ऑक्सीजन मिलने से मरीजों की जान तो बच गई लेकिन यह अव्यवस्था कई सवाल खड़े कर रही है। मेडिसिन वार्ड में गंभीर बीमारी से जूझ रहे कई मरीज दाखिल हैं। इनमें से छह मरीजों की हालत काफी बिगड़ गई थी। ऑक्सीजन सिलेंडर भी नहीं थे पर्याप्त मरीजों के तीमारदार जब वार्ड ब्वॉय के पास सुबह पांच बजे ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग करने लगे तो वार्ड ब्वॉय ने आइजीएमसी प्रशासन और सरकार को खरी खोटी सुनानी शुरू कर दी।
उसका कहना था कि सिलेंडर कहां से लाऊं। जब सिलेंडर पर्याप्त हैं ही नहीं, एक ही है इसी से गुजारा कर लो। कहां थी स्टाफ नर्स सोमवार सुबह जब ऑक्सीजन की दिक्कत आई तो वार्ड ब्वॉय ऑक्सीजन लगाने के लिए पहुंचा, जबकि यह काम स्टाफ नर्स का है। सवाल यह है कि वार्ड में तैनात स्टाफ नर्स कहां थी। क्यों स्टाफ नर्स ने वार्ड ब्वॉय को ऑक्सीजन लगाने के लिए कहा या फिर वह अपनी मर्जी से ऑक्सीजन लगाने पहुंचा। ऑक्सीजन प्लांट में कोई दिक्कत नहीं थी। वास्तव में ऑक्सीजन लगाने में दिक्कत थी। इस कारण यह समस्या पैदा हुई है।
हर बिस्तर के साथ ऑक्सीजन प्वाइंट न होने के कारण सिलेंडर का भी इस्तेमाल किया गया। चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी यह काम क्यों कर रहा था, इसकी जांच की जाएगी।
-जनकराज, वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक, आइजीएमसी शिमला।