शिमला में सार्वजनिक यातायात पकड़ने लगा रफ्तार
राजधानी शिमला में कोरोना कर्फ्यू में दी गई ढील के बीच बुधवार से सार्वजनिक परिवहन रफतार पकड़ने लगा है।
जागरण संवाददाता, शिमला : राजधानी शिमला में कोरोना कर्फ्यू में दी गई ढील के बीच बुधवार से सार्वजनिक यातायात रफ्तार पकड़ने लगा। शिमला शहर में निजी बस आपरेटरों ने बसें बढ़ाई। निजी बस आपरेटरों ने जिले में 50 बसें विभिन्न रूट पर चलाई। निजी बसें चलने से लोगों को काफी राहत मिली है। अधिक सुविधा कार्यालय जाने वाले लोगों को मिली है जिन्हें रोजाना पैदल सफर करके या फिर महंगी दर पर टैक्सी से आवाजाही करनी पड़ती थी।
बाजार आने वाले लोगों को भी आवाजाही के लिए बसों का अधिक इंतजार नहीं करना पड़ा। निजी बस आपरेटर्स संघ के अध्यक्ष कमल ठाकुर ने कहा कि कोरोना कर्फ्यू के कारण बसें एक महीने से अधिक समय से सड़कों के किनारे खड़ी थीं। बसों से कई प्रकार का सामान भी चोरी हुआ। कई बसों की मरम्मत करवाई जा रही है। इसलिए एक साथ सभी बसों को चलाना मुश्किल हो रहा है। पहले चरण में पांच से सात बसें जबकि बुधवार से 50 बसें चलाई गई। विभिन्न रूट पर यात्रियों की उपलब्धता के आधार पर बसें चलाई जाएंगी। शहरी आबादी वाले शिमला क्षेत्र में सुबह और शाम लोगों की आवाजाही अधिक होती है। दिन के समय बसों में कम सवारियां होती हैं। शिक्षण संस्थान बंद होने से भी कम सवारियां मिल रही हैं।
वहीं, हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के क्षेत्रीय प्रबंधक देवासेन नेगी ने कहा कि जिले के 275 रूट पर बसों का संचालन नियमित किया गया है। रात आठ बजे तक बसें चलाई जा रही हैं। आठ बजे के बाद सवारियों की जरूरत के हिसाब से यह समय बढ़ाया जा सकता है। बसों का संचालन सरकार की ओर से जारी दिशानिर्देश के अनुसार किया जा रहा है ताकि सवारियों के साथ स्टाफ का भी कोरोना संक्रमण से बचाव हो सके।
------------- ठियोग में ग्रामीण इलाकों के 36 में से 16 रूट पर चल रही बसें
संवाद सूत्र, ठियोग : ठियोग क्षेत्र में ग्रामीण इलाकों में चलने वाली परिवहन निगम की बसों के 36 रूट में से 16 रूट पर बसें चल रही हैं जहां शाम को बसें जाती हैं। दिन वाले 20 रूट पर बसें नहीं चलाई जा रही हैं। बुधवार से ठियोग में कई निजी बसों को भी आपरेटरों ने रूट पर भेजना शुरू कर दिया है। हालांकि परिवहन निगम के दिन वाले रूट पर बसें न चलने के कारण कई पंचायतों में बसों की आवाजाही शुरू नहीं हो पाई है। सरकारी दफ्तरों में कामकाज शुरू होने के कारण लोग उपमंडल व तहसील मुख्यालय आ रहे हैं लेकिन उन्हें निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है जो काफी महंगा पड़ रहा है। बसों में 50 फीसद यात्रियों की सीमा तय होने और कम बसों के कारण अधिकतर लोग निजी वाहन में सफर करने के लिए विवश हैं।