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पानी की बूंद-बूंद बचाओ, फसल उगाओ और आजीविका कमाआे

खेतों की सिंचाई के लिए केंद्र से मिले 107 करोड़ प्रदेश के पांच विभाग खर्च करेंगे। सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग किसानों को सिंचाई के लिए उत्साहित करता है।

By BabitaEdited By: Published: Tue, 17 Jul 2018 11:39 AM (IST)Updated: Tue, 17 Jul 2018 11:39 AM (IST)
पानी की बूंद-बूंद बचाओ, फसल उगाओ और आजीविका कमाआे
पानी की बूंद-बूंद बचाओ, फसल उगाओ और आजीविका कमाआे

शिमला, राज्य ब्यूरो। खेत पानी के बिना सूखे नहीं रहेंगे। किसान चाहें तो वर्षा जल संग्रह टैंक बनाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। खेतों में पानी का टैंक होगा। किसान जब चाहे खेतों की सिंचाई कर सकता है। सिंचाई के लिए बनाए जाने वाले टैंकों के निर्माण के लिए उपदान की मिलेगा। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत केंद्र सरकार ने हिमाचल को 107 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी कर दी है। इसके तहत प्रदेश के चार विभाग सिंचाई के लिए टैंक निर्माण कर सकते हैं।

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खेतों की सिंचाई के लिए केंद्र से मिले 107 करोड़ प्रदेश के पांच विभाग खर्च करेंगे। सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग किसानों को सिंचाई के लिए उत्साहित करता है। बागवानी, कृषि और ग्रामीण विकास विभाग भी पानी के टैंकों का निर्माण करने के लिए पैसा देता है। आइपीएच को 49 करोड़, कृषि विभाग को 12 करोड़, बागवानी विभाग को 6 करोड़, ग्रामीण विकास विभाग को 40 करोड़ प्राप्त हुए हैं। सरकार ने 540.98 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा था।

बरसात को छोड़ दें तो खेतों को पानी चाहिए। ऐसे में किसान खेतों में पानी का टैंक बना सकता है। उसे उपदान भी प्राप्त होगा। मकसद है कि किसान की आर्थिकी को मजबूत बनाया जाए।

-डीआर शर्मा, निदेशक कृषि विभाग।

अब किसान को खेती छोड़ने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा। हर खेत के लिए सिंचाई की सुविधा होगी। किसान चाहे तो टैंक निर्माण के लिए आवेदन कर सकता है। सरकार प्रत्येक किसान के खेत में पानी के

टैंक बना सकती है। 

-डॉ. रामलाल मार्कंडेय, कृषि मंत्री।

कितना मिलेगा उपदान

-9 क्यूबिक मीटर का सिंचाई टैंक बनाने के लिए किसान को 21 हजार उपदान मिलेगा, टैंक की कुल लागत 40 हजार रुपये।

-20 क्यूबिक मीटर का सिंचाई टैंक बनाने के लिए 36 हजार रुपये उपदान मिलेगा, टैंक की कुल लागत एक लाख रुपये।

-किसान समूहों द्वारा सिंचाई टैंक बनाने के लिए नि:शुल्क प्रावधान है। केवल 20 क्यूबिक मीटर का टैंक ही दायरे में। एक लाख रुपये लागत।


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