अस्पतालों में स्टाफ न होने पर समिति तल्ख
ठियोग की स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति सरकार का नकारात्मक रवैया होने के कारण आम जनता पिस रही है।
संवाद सूत्र, ठियोग : ठियोग की स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकार का नकारात्मक रवैया होने के कारण आम जनता पिस रही है। तहसील के सिविल अस्पताल में कर्मचारियों की कमी के कारण मरीजों को प्राथमिक उपचार देने के बाद शिमला रेफर कर दिया जाता है।
ठियोग संघर्ष समिति सिविल अस्पताल और उपमंडल की विभिन्न पंचायतों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्टाफ की कमी दूर करने के लिए 22 जून को स्वास्थ्य निदेशक से मिलकर पदों को भरने की मांग करेगी। समिति के संयोजक सुरेंद्र वर्मा ने कहा कि सरकार ठियोग उपमंडल में लचर स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के प्रति उदासीन दिखाई दे रही है। वर्मा के अनुसार समिति ने 11 अप्रैल को पदों को भरने के लिए सरकार को एसडीएम ठियोग के माध्यम से ज्ञापन भेजा था। उपमंडल की 50 पंचायतों के अधिकतर स्वास्थ्य केंद्रों में 60 प्रतिशत स्टाफ की कमी चल रही है। तहसील के सिविल अस्पताल तीन नर्सो के सहारे है, जबकि अस्पताल में 13 डाक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। स्टाफ के बिना डॉक्टर मरीज को रेफर करने में ही भलाई समझते हैं। इसी कारण पुरुष और महिला वार्डो में नाममात्र मरीज भर्ती हैं, जबकि प्रसूति वार्ड में कोई भी गर्भवती महिला भर्ती नहीं है। देवरी घाट पंचायत के प्रधान सुरेश वर्मा के अनुसार इस संघर्ष में अन्य पंचायतों के प्रतिनिधियों को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। श्टेयां पंचायत प्रधान चंदन जोगी ने सरकार द्वारा पीएचसी को आशा वर्करों के हवाले करने पर ऐतराज जताया है। इस मौके पर देवरी घाट पंचायत के उपप्रधान प्रदीप खाची, सुनील हेट्टा, निशांत, सुनील, महेश वर्मा सहित समिति के अन्य सदस्य मौजूद रहे।