पौंग बांध विस्थापितों की जमीनी हकीकत जाचेगी हाईपावर कमेटी
हिमाचल प्रदेश के हजारों पौंग बांध विस्थापित परिवारों की जमीनी हकीकत को जांचने के लिए हाईपावर कमेटी राजस्थान जाएगी।
यादवेन्द्र शर्मा, शिमला
हिमाचल प्रदेश के हजारों पौंग बांध विस्थापित परिवारों की जमीनी हकीकत को हाईपावर कमेटी राजस्थान में जांचेगी। कमेटी अपना पहला दौरा दिसंबर में करेगी जिस दौरान राजस्थान में विस्थापितों को दी गई जमीनों की हकीकत को खंगाला जाएगा।
पौंग बांध विस्थापित परिवारों का कहना है कि राजस्थान सरकार ने उन्हें ऐसे क्षेत्रों में जमीन दी है जहां सड़क, अस्पताल, स्कूल, कॉलेज जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। कुछ परिवारों का आरोप है कि उन्हें जमीनों का मालिकाना हक नहीं मिला है और सिर्फ कागजी कार्रवाई हुई है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के सचिव यूपी सिंह पौंग बांध विस्थापित हाईपावर कमेटी के अध्यक्ष हैं। हिमाचल प्रदेश से अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) मनीषा नंदा व राजस्थान सरकार के सचिव अश्विनी शर्मा कमेटी के सदस्य हैं। यूपी सिंह, मनीषा नंदा, अश्विनी शर्मा व अन्य प्रशासनिक अधिकारी राजस्थान के रामगढ़, जैसलमेर, मोहनगढ़, नाचना व पुगल क्षेत्रों का दौरा करेंगे जहां हिमाचल के पौंग बांध विस्थापितों को जमीनें दी गई हैं। इन क्षेत्रों में सुविधाओं का जायजा लेने के साथ वहां विस्थापितों से भी बात की जाएगी। राजस्थान सरकार ने रद किए हैं 5442 आवेदन
हाईपावर कमेटी के दौरे के दौरान यह सच्चाई भी सामने आएगी कि आखिर कितने पौंग बांध विस्थापितों को राजस्थान सरकार ने जमीन दी हैं और उनकी हालत क्या है। दिल्ली में हुई बैठक में पहले ही राजस्थान सरकार 5442 विस्थापित परिवारों के आवेदन रद कर चुकी है। विस्थापितों को हिमाचल में बसाने का आदेश
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने कुछ दिन पूर्व अपने आदेश में पौंग बांध विस्थापितों की समस्या के हल के लिए उन्हें हिमाचल में ही बसाने को कहा है। इसके लिए स्थानों का चयन कर उसका खर्च राजस्थान सरकार से लेने को कहा है। आरक्षित भूमि पर नहीं बसाए गए विस्थापित
कांगड़ा जिला में पौंग बांध के लिए वर्ष 1971 में 339 गांवों के 20722 परिवारों की भूमि का अधिग्रहण किया गया था। पौंग बांध के कारण 20722 परिवार प्रभावित हुए हैं। विस्थापितों को राजस्थान में आरक्षित भूमि पर अभी तक नहीं बसाया गया है। जब पौंग बाध का निर्माण हुआ था तो हिमाचल और राजस्थान सरकार में समझौता हुआ था कि विस्थापितों को मूलभूत सुविधाओं से लैस जमीन श्रीगंगानगर में दी जाएगी। उस समय श्रीगंगानगर में 2.20 लाख एकड़ जमीन सुरक्षित रखी गई थी। लेकिन उस जमीन पर विस्थापितों की जगह राजस्थान के लोगों को ही अवैध रूप से बसा दिया गया है। अभी भी जिन्हें हक नहीं मिले हैं, उनका आंकड़ा 16352 बताया जा रहा है।
पौंग बांध विस्थापितों की समस्या के हल के लिए गठित केंद्रीय हाईपावर कमेटी दिसंबर में राजस्थान का दौरा करेगी। वहां विस्थापितों को दी गई जमीनों का आकलन किया जाएगा।
-मनीषा नंदा, अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व)