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राजस्थान व हिमाचल के मुख्य सचिवों की बैठक 18 फरवरी को

पौंग बांध विस्थापितों के हिमाचल में पुनर्वास संबंधी मामलों पर सुनवाई अब 20 मार्च को होगी

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Jan 2019 07:43 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jan 2019 07:43 PM (IST)
राजस्थान व हिमाचल के मुख्य सचिवों की बैठक 18 फरवरी को
राजस्थान व हिमाचल के मुख्य सचिवों की बैठक 18 फरवरी को

जागरण संवाददाता, शिमला : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में पौंग बांध विस्थापितों के पुनर्वास से जुड़े मामलों पर सुनवाई 20 मार्च के लिए टल गई है। सरकार ने कोर्ट को बताया कि विस्थापितों के हिमाचल में ही पुनर्वास को लेकर नीतिगत फैसले के लिए राजस्थान व हिमाचल सरकार के मुख्य सचिवों की बैठक 18 फरवरी को निर्धारित की गई है। गौर रहे कि हाईकोर्ट ने हिमाचल व राजस्थान की राज्य सरकार के मुख्य सचिवों को आदेश दिए हैं कि वह पौंग बांध विस्थापितों का हिमाचल में ही पुनर्वास करने के लिए नीति बनाए। इसके तहत राजस्थान सरकार के खर्चे पर विस्थापितों के लिए उपयुक्त जमीन खरीदने का प्रावधान हो। कोर्ट ने इस बाबत जरूरी पड़ने पर उच्चस्तरीय बैठक कर नीतिगत फैसला लेने के आदेश भी दिए हैं। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिए हैं कि वह प्रदेश में ही उनके पुनर्वास के जमीन की तलाश करे और उसका पूरा खर्च राजस्थान सरकार से लिया जाए। कोर्ट ने दोनों सरकारों को आपस में बैठकर इसका समाधान निकालने के निर्देश दिए थे।

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हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ को मामले की सुनवाई के दौरान बताया कि राजस्थान सरकार के साथ बातचीत चल रही है। दोनों सरकारों के मुख्य सचिवों की बैठक 18 फरवरी को निर्धारित की गई है। इन मामलों पर पिछली सुनवाई के दौरान बताया गया था कि पौंग बांध विस्थापितों को राजस्थान के जैसलमेर और बीकानेर के कठिन क्षेत्रों में पुनर्वास के नाम पर जमीन दी जा रही है, जहां रहना आसान नहीं है। ऐसे में प्रदेश सरकार का दायित्व है कि वह विस्थापितों के लिए राज्य में ही जमीन उपलब्ध करवाए, जिसका खर्च राजस्थान सरकार से लिया जा सकता है। इसी संदर्भ में कोर्ट ने दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को बैठक कर विस्थापितों की समस्या का हल निकालने के आदेश देकर बातचीत संबंधी स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष रखने को कहा है।

उल्लेखनीय है कि हिमाचल में पौंग बांध में हजारों लोगों की भूमि चली गई। 16352 विस्थापितों के पुनर्वास के लिए राजस्थान के गंगानगर जिले में दो लाख 20 हजार एकड़ भूमि आरक्षित की गई थी। अभी भी पांच हजार विस्थापित पुनर्वास के लिए भटक रहे हैं।


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