आउटसोर्स कर्मियों के लिए नहीं बनेगी नीति
आउटसोर्स कर्मी नियमित नहीं किए जाएंगे वह सरकारी कर्मी नहीं कहला पाएंगे।
शिमला, राज्य ब्यूरो। सरकारी विभागों, बोर्डों व निगमों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मियों के लिए अच्छी खबर नहीं है। इनका काम पक्का है पर नौकरी कच्ची ही रहेगी। ये सरकारी कर्मचारी नहीं कहला पाएंगे। राज्य सरकार इनके लिए स्थायी नीति नहीं बनाएगी। माकपा विधायक राकेश सिंघा, कांग्रेस विधायक हर्षवर्धन चौहान व भाजपा विधायक विनोद कुमार के सवाल पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार इन कर्मचारियों का कंपनियों से शोषण नहीं होने देगी। शिकायत आने पर कड़ी कार्रवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर इन कर्मचारियों को नियमित नहीं किया जा सकता है। मानसून सत्र के आखिरी दिन प्रश्नकाल के दौरान सदन में आउटसोर्स कर्मचारियों का मामला उठा। राकेश सिंघा, हर्षवर्धन चौहान व विनोद कुमार ने सवाल पूछा कि 15 फरवरी तक प्रदेश सचिवालय, सरकारी विभागों, निगमों व बोर्डों में कितने आउटसोर्स कर्मी थे? वेतन निर्धारण का क्या फॉर्मूला तय किया है? इनका भविष्य सुरक्षित करने को सरकार ठोस नीति बनाने का विचार रखती है? जयराम ने कहा कि इनकी सेवाएं सेवा प्रदाता कंपनी, ठेकेदार के साथ हुए करारनामे के अनुसार तय होती हैं।
नीति का एलान करने वालों ने किया शोषण
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार सुनिश्चित करेगी कि आउटसोर्स कर्मियों का शोषण न हो। लेकिन शोषण उन लोगों ने किया, जिन्होंने नीति बनाने का ऐलान किया। चुनाव के दृष्टिगत पीटरहॉफ मैदान भर दिया। शोषण वो है जो कह देते हैं, करते नहीं।
सरकार की स्वीकृति से तैनाती
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार एक जुलाई 2017 के दिशानिर्देश को लागू करवाएगी। इसके तहत सरकार की स्वीकृति से ही आउटसोर्स कर्मी तैनात होंगे। महिला कर्मियों को मातृत्व अवकाश मिलेगा। कर्मियों को साल में छह दिन मेडिकल लीव मिलेगी। ईएसआइ सुविधा के अलावा ईपीएफ कटेगा।
विधानसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
विधानसभा का मानसून सत्र शुक्रवार को संपन्न हुआ। इसी के साथ सदन को अनिश्चितकाल तक क लिए स्थगित कर दिया गय। नौ दिन के सत्र में सात बैठकें हुईं। ड्रग, अवैध खनन, पर्यटन नीति सहित अन्य मसलों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में टकराव हुआ। विपक्ष ने चार दिन तक वॉकआउट किया। भाजपा के विधायकों ने भी तीखे तेवरों से सरकार को घेरा। सत्र में 366 सवालों के जवाब विधायकों को मिले। दो विधेयक पारित किए गए।
बैंक खाते में जमा हो वेतन विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि कानून से ऊपर कोई नीति या निर्देश नहीं हो सकते हैं। 108 एंबुलेंस में 12-12 घंटे कार्य करवा जाता है लेकिन वेतन निर्धारण का कोई फॉर्मूला नहीं है। ऐसे में क्या कंपनियों का ही दबदबा चलेगा? विनोद कुमार ने ऐसे कर्मियों की भर्ती के लिए रोस्टर लागू करने और वेतन बैंक खाते में ही जमा करने का आग्रह किया।