गुजरात व दिल्ली के मॉडल पर हिमाचल में बंटेंगे प्लॉट
हिमाचल प्रदेश में आवासों के निर्माण के लिए गुजार और दिल्ली मॉडल के आधार पर जमीनों की प्लॉटिग होगी। शहरों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों की जमीनों पर आवास के निर्माण के लिए लैंड पूलिग पॉलसी-2019 को तैयार करने के लिए तीन राज्यों के मॉडल को देखा जा रहा है।
यादवेन्द्र शर्मा, शिमला
हिमाचल प्रदेश में आवासों के निर्माण के लिए गुजरात व नई दिल्ली मॉडल के आधार पर प्लॉटों का विभाजन होगा। प्रदेश में शहरों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों का भी योजनाबद्ध विकास होगा। शहरों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों की जमीनों पर आवास निर्माण के लिए लैंड पूलिग पॉलिसी 2019 तैयार करने को लेकर तीन राज्यों गुजरात, दिल्ली और महाराष्ट्र के मॉडल को देखा जा रहा है। इनमें से हिमाचल सरकार गुजरात व दिल्ली के मॉडल को अपनाकर नीति बनाने पर विचार कर रही है।
इन राज्यों के मॉडल के आधार पर हिमाचल में आवासीय कॉलोनियां और आवास बनाने की योजना को तैयार किया जाएगा। इसी आधार पर प्रदेश के शहरी क्षेत्रों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में प्लॉटों को तैयार किया जाएगा जिनमें सड़क और अन्य मूलभूत सुविधाओं का प्रबंध होगा। सरकार लोगों की जमीनों के प्लॉट बनाकर देगी। लोग अपनी जमीनों को आवासों के निर्माण के लिए इसी आधार पर बेच सकेंगे। प्रदेश में इस तरह की व्यवस्था पहली बार लागू की जाएगी। शहर एवं ग्राम नियोजन विभाग ने इसके लिए योजना तैयार कर ली है। सूत्रों के अनुसार लोगों की निजी जमीनों के प्लॉट बनाकर उन तक वाहन पहुंचाने की व्यवस्था करने के लिए इस तरह की योजना को तैयार किया जा रहा है। इसके लिए पंजीकरण की व्यवस्था भी की जाएगी। आवेदन करने पर लोगों की जमीनों के भवन बनाने के लिए प्लॉट काटे जाएंगे और उनमें हर तरह की आधुनिक सुविधाओं को जोड़ा जाएगा। इस आधार पर कॉलोनियां बनाने और योजनाबद्ध विकास करने की योजना है। शनिवार को मुख्य सचिव बीके अग्रवाल की अध्यक्षता में लैंड पूलिग पॉलिसी-2019 तैयार करने के लिए बैठक हुई। इसमें तीन राज्यों के मॉडल पर चर्चा हुई। बैठक में नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग के निदेशक सी पाल रासू भी उपस्थित थे। क्या है गुजरात मॉडल
गुजरात मॉडल में सरकार मकानों के निर्माण के लिए लोगों की निजी जमीनों के प्लॉट तैयार करती है। इसमें सड़कों व अन्य सुविधाओं के लिए भी प्रावधान रखा जाता है। प्लॉट विभाजन के बाद लोग अपनी मर्जी से उसे बेच सकते हैं जिन प प्लॉट विभाजन के आधार पर निर्माण होता है। क्या है दिल्ली मॉडल
दिल्ली मॉडल में सरकार निजी जमीनों के प्लॉट का विभाजन न कर इस कार्य को निजी लोगों व एजेंसी से करवाती है। इसके लिए फीस भी ज्यादा होती है। कॉलोनियों को विकसित करने के लिए पूरा खाका तैयार किया जाता है। कॉलोनी में क्या-क्या सुविधाएं होनी चाहिए, इसमें प्रावधान होता है।