पिंजौर-शिमला फोरलेन निर्माण से प्रभावित लोगों का 88 करोड़ अटका
जिला प्रशासन के लिए सिरदर्द बन गए हैं अदालत में चल रहे केस और लोगों के विवाद।
सोलन, सुनील शर्मा। पिंजौर से शिमला तक दो चरण में चल रहे फोरलेन निर्माण के 787 मामले अब
तक लंबित होने से फोरलेन निर्माण कार्य धीमी रफ्तार से चला हुआ है। हालांकि जिला प्रशासन ने ऐसी विवादित जमीनों पर फोरलेन निर्माण कंपनी को कार्य करने की अनुमति प्रदान कर दी है लेकिन आए दिन फोरलेन निर्माण कंपनी को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ता है जिस कारण निर्माणकार्य में देरी हो रही है।
ज्ञात हो कि ग्रिल कंपनी द्वारा फोरलेन निर्माण के प्रथम चरण का कार्य परवाणू से सोलन तक किया जा रहा है। इस पर करीब 700 करोड़ रुपये का खर्चा किया जा रहा है। निर्माण कंपनी को वर्ष 2019 मार्च तक इस निर्माणकार्य को पूरा करने को कहा है, लेकिन पहले भी डगशाई के पास आर्मी की जमीन का अधिग्रहण कार्य देरी से होने पर निर्माणकार्य लेट हुआ था, वहीं अब भी कुछ लोगों का विवाद होने से निर्माणकार्य में देरी हो रही है। जाबली के निकट मंदिर की जमीन को लेकर भी विवाद है जिसका कोई फैसला नहीं हो सका है। वहीं कुम्मारहट्टी बाजार के निकट भी करीब पांच से दस दुकानों का विवाद जिला प्रशासन के साथ चल रहा है।
परवाणू से सोलन तक के विवाद
सोलन से परवाणू तक 283 मामले अब तक ऐसे हैं जो अनसुलझे हैं। यह मामले या तो कोर्ट में विचाराधीन
हैं या कुछ मामलों में लोगों के आपस में विवाद हैं। जानकारी के मुताबिक जिला प्रशासन के पास 140 मामले अब तक ऐसे हैं जिनमें कोर्ट में स्टे लगा हुआ है। ऐसे मामलों की 14 करोड़ 32 लाख रुपये
की मुआवजा राशि जिला प्रशासन के पास जमा है जो विवाद खत्म होने के बाद लोगों में वितरित की जाएगी। इसके अलावा दो मामले ऐसे हैं जिनमें लोगों की जमीन बैंक के पास मोडगेज हैं, इनकी करीब एक
करोड़ 23 लाख रुपये की राशि जिला प्रशासन के पास जमा है।
जिला प्रशासन के लिए 131 मामले
ऐसे बड़ी सिरदर्दी बने हुए हैं जिनमें लोगों ने अपने कागज ही जमा नहीं करवाए हैं। जिस कारण जिला प्रशासन को उन्हें मुआवजा देने में परेशानी हो रही है। जिला प्रशासन के पास ऐसे मामलों का करीबन
8 करोड़ 29 लाख 34 हजार रुपया जमा है। वहीं सात मामलों में सरकारी जमीन का करीब पांच करोड़ से अधिक की राशि एनएचएआइ के पास वापस किया गया है। आबादी देह के तीन गांव सिहारड़ी मुस्लमाना, धर्मपुर बथोल और दत्यार के करीबन तीन करोड़ 37 लाख 76 हजार रुपये अभी जिला प्रशासन के पास जमा हैं। इनका भी अब तक कोई फैसला नहीं हो सका है। जिला प्रशासन के पास कुल 283 मामलों का 32 करोड़ 51 लाख 69 हजार रुपया ऐसा है जो लोगों को दिया जाना है।
चंबाघाट से कैथलीघाट के विवाद
चंबाघाट से कैथलीघाट निर्माण के दूसरे चरण का कार्य ऐरिफ इंजीनियरिंग कंपनी को दिया गया है। यह निर्माणकार्य अभी शुरू नहीं हो सका है। इस निर्माण कार्य के लिए अभी कंपनी और नेशनल हाईवे अथारिटी ऑफ इंडिया अपनी औपचारिकताएं पूरी करने में लगी है। जिला प्रशासन की तरफ से इस पैच पर अधिकतर
मुआवजा राशि लोगों को दे दी गई है लेकिन अब भी करीबन 504 मामले जिला प्रशासन की सिरदर्दी बने हुए हैं। यहां भी 504 मामलों के करीबन 55 करोड़ 54 लाख छह हजार रुपये अभी ऐसे हैं जो जिला प्रशासन
के पास लंबित हैं। इस पैच पर 183 मामले ऐसे हैं जिनमें कोर्ट स्टे है और उनका 16 करोड़ से अधिक पैसा प्रशासन के पास है।
वहीं 260 मामलों में लोगों ने अपने कागज ही जिला प्रशासन के पास जमा नहीं करवाएं हैं। ऐसे मामलों के करीबन 19 करोड़ 14 लाख रुपये जिला प्रशासन के पास जमा पड़े हैं। फोरलेन निर्माण के लिए जिला में
नोडल अफसर व एसडीएम सोलन रोहित राठौर ने कहा कि 787 मामले अब तक ऐसे हैं जिनमें लोगों का मुआवजा नहीं दिया गया है। इनमें कुछ मामले कोर्ट में स्टे के कारण लंबित हैं तोे कुछ मामलों में जमीन मालिकों ने अपने दस्तावेज ही जमा नहीं करवाए हैं।
ऐसे मामलों के करीबन अब तक 88 करोड़ पांच लाख 75 हजार रुपये जिला प्रशासन के पास ही जमा हैं। इन मामलों में फैसला आने के बाद यह जमा राशि उनके मालिकों को दे दी जाएगी। रोहित राठौर ने कहा कि
लंबित मामलों की जमीनों पर अब फोरलेन निर्माण कंपनी को कार्य शुरू करने की अनुमति दे दी गई है, ताकि निर्माणकार्य में और देरी न हो।