बसों में इतनी ओवरलोडिंग की दरवाजा तक नहीं होता बंद
जागरण संवाददाता, शिमला : शहर में निजी बस ऑपरेटरों की आपसी दौड़ लोगों की जान के लिए ख्
जागरण संवाददाता, शिमला : शहर में निजी बस ऑपरेटरों की आपसी दौड़ लोगों की जान के लिए खतरा बनी हुई है। अधिक पैसे कमाने के चक्कर में लोगों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। क्षमता से कहीं अधिक सवारियां बसों में बिठाई जा रही हैं। वीरवार को ऑकलैंड टनल के पास ढली की ओर जा रही बस खड़ी हुई। इस बस से कंडक्टर उतरा और ढली-ढली चिल्लाने लगा। लोग बस में चढ़ने लगे तो इतनी भीड़ बस में हो गई कि दरवाजा बंद करना तक मुश्किल हो गया। बस कंडक्टर बाहर खड़े होकर दरवाजा बंद करने लगा इतनी जोर से दरवाजा बजाया कि खिड़की में खड़े एक युवक के सिर में चोट लग गई, लेकिन कंडक्टर ने इसकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया और अगली खिड़की पर दौड़कर चढ़ गया और बस चल दी।
शहर में निजी बस ऑपरेटरों की यह मनमानी हर रोड पर हर रोज देखने को मिलती है। वहीं, प्रदेश में आए दिन बस दुर्घटनाओं में कई लोगों की मौत हो रही है, लेकिन प्रशासन न तो ओवर लोडिंग को कम कर पा रहा है और न ही बस चालकों की गति पर कोई नियंत्रण लगा पा रहा है। शायद यह प्रशासन की उसी पुरानी आदत का नतीजा कि वह कोई बड़ा हादसा होने के बाद ही नींद से जागता है। आनन-फानन में कार्रवाई की जाती है, मगर इसके बाद एक बार फिर प्रशासनिक अमला व्यवस्था को राम भरोसे छोड़ देता है। शिमला शहर में निजी बसों की बात करें तो लोगों को सुबह शाम अपनी जान जोखिम में डालकर ही सफर करना पड़ रहा है। शिमला शहर में निजी बसें लोगों को सुविधा देने की जगह पूरी तरह से कमाई का धंधा बनती जा रही हैं। एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में लोगों की सुरक्षा हाशिए पर आ गई है।