सीएम की नजर से बच नहीं पाएंगे संदिग्ध आचरण वाले अधिकारी
संदिग्ध आचरण के अधिकारी अब मुख्यमंत्री की नजर से नहीं बच पाएंगे। ऐसे अधिकारी संवेदनशील स्थानों पर तैनात नहीं हो पाएंगे।
राज्य ब्यूरो, शिमला : संदिग्ध आचरण के अधिकारी अब मुख्यमंत्री की नजर से नहीं बच पाएंगे। ऑफिसर ऑफ डाउटफुल इंटेग्रिटी (ओडीआइ) में शामिल अधिकारियों की सूची हर हाल में सरकार के मुखिया के नोटिस में रहेगी। ऐसे आरोपितों की जब कहीं संवेदनशील जगह तैनाती करने का प्रस्ताव तैयार होगा तो संबंधित प्रशासनिक सचिव को फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय भेजनी होगी। मुख्यमंत्री की अनुमति के बिना इनकी नई जगह तैनाती नहीं हो पाएगी।
अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादलों पर पाबंदी न भी हो तो भी सरकार बिना अनुमति के इन्हें संवेदनशील पदों पर नहीं भेज जाएगी। इस संबंध में सरकार ने निर्देश जारी किए हैं। प्रधान सचिव (विजिलेंस) संजय कुंडू ने इन निर्देशों के संबंध में सभी प्रशासनिक विभागों, बोर्डो, निगमों के अध्यक्षों व स्वायत्त संस्थानों के मुखिया को पत्र लिखा है। इन निर्देशों को सभी जिलों के उपायुक्तों, मंडलायुक्तों व विभागाध्यक्षों को भी भेजा गया है। उन्हें ओडीआइ सूची के संबंध में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। इन निर्देशों के मुताबिक अगर काडर में गैर संवदेनशील पद नहीं है तो ऐसे अधिकारी की फाइल भी मुख्यमंत्री के पास ही जाएगी। संदिग्ध आचरण के ऐसे व्यक्तियों को विशेष परिस्थितियों में ही संवेदनशील पद पर तैनात किया जा सकेगा। ये ऐसी परिस्थितियां होनी चाहिए जिसे किसी भी सूरत में टाला नहीं जा सकता हो। विशेष हालात में मुख्यमंत्री की अनुमति से ही इनकी तैनाती होगी। संदिग्ध आचरण वाले अधिकारियों को लेकर हाईकोर्ट सख्त है। हाल ही में कोर्ट ने सरकार को ऐसे अधिकारियों को समय से पूर्व सेवानिवृत्त करने के निर्देश दिए थे। छह महीने में होगी समीक्षा
ओडीआइ सूची की हर छह महीने बाद समीक्षा होगी। अभी विभागों, बोर्डो और निगमों को नई सूची फरवरी के अंत तक तैयार कर विजिलेंस के एडीजी को भेजनी सुनिश्चित करनी होगी। इस सूची में शामिल अधिकारी का अगर सरकार की इजाजत के बाद संवदेनशील पद पर तबादला हो भी जाता है, फिर भी उस पर निगरानी रखी जाएगी। उसके व्यवहार की निरंतर निगरानी होगी। ओडीआइ सूची में अधिकारी
प्रदेश के 66 अधिकारी ओडीआइ सूची में शामिल रहे हैं। बाद में विभागीय जांच में कई अधिकारियों को क्लीनचिट मिल गई। अब नई सूची में यह आंकड़ा बढ़ सकता है। सरकार के निर्देश हैं कि इसे गोपनीय रखा जाए।