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अब धूल के एक-एक कण का होगा सौदा, लाखों की होगी आमदनी

अब सड़कों की धूल के एक-एक कण को डस्ट स्वीपर मशीन से उठाया जाएगा और इस धूल का इस्तेमाल इंटरलॉक टाइल बनाने में किया जाएगा।

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 04 Jun 2019 09:37 AM (IST)Updated: Tue, 04 Jun 2019 09:43 AM (IST)
अब धूल के एक-एक कण का होगा सौदा, लाखों की होगी आमदनी
अब धूल के एक-एक कण का होगा सौदा, लाखों की होगी आमदनी

शिमला, यादवेन्द्र शर्मा। हिमाचल में सड़क पर चलते समय अब आपको धूल से बचने के लिए मुंह ढकने की जरूरत नहीं होगी। धूल के एक-एक कण को अलैनो कंपनी की डस्ट स्वीपर मशीन से उठाया जाएगा। इस धूल का इस्तेमाल इंटरलॉक टाइल (सिरेमिक टाइल नहीं अपितु आपस में जुड़ने वाली ईंट) बनाने में इस्तेमाल होगा। प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस संबंध में कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए मुख्यमंत्री के गृह जिला मंडी और पहाड़ों की रानी शिमला में मशीन का ट्रायल किया गया है जो सफल रहा है। 

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ट्रायल के दौरान एक निजी कंपनी की मशीन ने सड़क की धूल के छोटे से छोटे कण को उठाया। हवा के कारण उड़ने वाले धूल कण भी मशीन ने उठा लिए। यह मशीन बड़ी सड़कों में सफाई करने के साथ तंग गलियों से भी धूल को एकत्रित कर सकती है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नगर निगमों, शहरी निकायों व विभागों को सार्वजनिक निजी सहभागिता के साथ सफाई करने या अपने स्तर पर मशीनें खरीदकर सड़कों को साफ करने का प्रस्ताव दिया है। नगर निगम, शहरी निकाय व विभिन्न विभाग इस धूल से इंटरलॉक टाइल्स बनवाकर या खुद बनाकर इन्हें बेचकर लाखों रुपये की आमदनी कर सकेंगे।

कैसे बनेगी इंटरलॉक टाइल

इंटरलॉक टाइल तैयार करने के लिए प्लास्टिक वेस्ट के साथ धूल व मिट्टी मिलाई जाएगी। इसमें सड़कों से एकत्रित धूल का इस्तेमाल होगा। 

क्या होगा लाभ

सड़कों की धूल से प्रदूषण फैलने के साथ दमा रोगियों को दिक्कत होती है। सड़कों किनारे स्थित खाद्य पदार्थों की दुकानों व ढाबों में खाने पर भी सड़कों की धूल गिरती है। इससे लोग दूषित भोजन खाने से बीमार होते हैं। सड़कों से धूल का एक-एक कण उठने पर प्रदूषण कम होगा और दमा रोगियों को भी राहत मिलेगी। सड़कों के किनारे स्थित दुकानों पर भी खाने में धूल नहीं गिर सकेगी। इंटरलॉक टाइलों का इस्तेमाल सड़कों, फुटपाथ या अन्य कच्चे रास्तों पर किया जाएगा।

एक लीटर पेट्रोल से आठ हजार वर्गमीटर की सफाई

ट्रायल के दौरान नौ लाख रुपये की चार फीट चौड़ी डस्ट स्वीपर मशीन ने एक लीटर पेट्रोल से आठ हजार वर्गमीटर की सफाई की। मशीन धूल, मलबे, पत्तियों व कंकड़ को एक साथ साफ कर सकती है। इसमें कूड़ा कचरा खींचने वाले यंत्र भी लगे हैं। मशीन वैक्यूम क्लीनर की तरह धूल व कचरे को अपने अंदर खींचती है। इसमें नालियां साफ करने वाले यंत्र भी लगे हैं।

शहरों में हवा प्रदूषित

हिमाचल प्रदेश में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। इसमें करीब 80 फीसद योगदान सड़कों की धूल व उद्योगों से निकलने वाले धुएं का है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच में प्रदेश के शहरों में हवा प्रदूषित पाई गई है। शहरों में रेस्पिरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (आरएसपीएम) का स्तर निर्धारित 60 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से अधिक पाया गया है। 

सड़कों को साफ रखने का आदेश

एनजीटी ने भी दिया है। सड़कों से धूल साफ करने की प्रक्रिया जल्द शुरू होने की उम्मीद है।

-आरके पुरुथी, सदस्य सचिव, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।

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