शहर की यलो लाइन पार्किग को अब सिगल टेंडर से देने की तैयारी
राजधानी शिमला में पार्किग की समस्या से कुछ हद तक निजात आने वाले दिनों में मिल सकती है। अब यलो लाइन पार्किंग को सिंगल टेंडर से देने की तैयारी की जा रही है।
जागरण संवाददाता, शिमला : राजधानी शिमला में पार्किग की समस्या से कुछ हद तक निजात आने वाले दिनों में मिल सकती है। शहर में 1350 वाहनों के लिए यलो लाइन पार्किग का सिगल टेंडर करने की तैयारी है। पहले वार्ड के स्तर पर इसे देने की कसरत चल रही थी, लेकिन अब इसे पूरे शहर का काम एक ही व्यक्ति को देने का प्रस्ताव है।
यलो लाइन पार्किग का प्रस्ताव पौने तीन साल से चल रहा है, लेकिन अभी तक सिरे नहीं चढ़ पाया है। पहले चरण में निगम ने जो सर्वे किया था उसमें 11 हजार से ज्यादा वाहनों को पार्क करने की क्षमता यलो लाइन की आंकी थी। इसमें केंद्रीय लोक निर्माण विभाग और लोक निर्माण विभाग की सड़कों पर मार्किग कर दी थी। इस पर बाद में आपत्ति लगने के बाद मामला अधर में लटक गया। इस पर निगम ने अब महज अपनी सड़कों पर 1350 वाहनों की पार्किग को चिह्नित किया है, अब इसका टेंडर किया जाना प्रस्तावित है।
नगर निगम के आयुक्त आशीष कोहली ने बताया कि इस पर कार्य चल रहा है। जल्द ही इसे फाइनल कर दिया जाएगा। 300 से 600 रुपये होगी प्रतिमाह फीस
यलो लाइन पार्किग के लिए जो प्रस्ताव बनाया गया है उसके तहत यलो लाइन में अब हर कोई वाहन खड़ा नहीं कर सकेगा। वाहन खड़ा करने की अनुमति उन्हें ही होगी जिनका नंबर सड़क या फिर वहां लगे बोर्ड पर लिखा होगा। इन पार्किग को चलाने का काम स्थानीय स्तर पर ही कालोनी में किसी युवक को देने की पैरवी की जा रही है। इसमें फीस 300 से 600 रुपये प्रतिमाह तय की जाएगी ताकि लोगों पर ज्यादा वित्तीय भार न पड़े। तर्क दिया जा रहा है कि जितनी कम फीस होगी उतने ज्यादा लोग वाहन पार्क करेंगे। शहर में 1.43 लाख वाहन हैं पंजीकृत
शिमला शहर में 1.43 लाख वाहन पंजीकृत हैं, जबकि पार्किग केवल 2500 वाहनों की ही है। शहर में स्मार्ट सिटी के तहत दो से तीन हजार गाड़ियों के लिए पार्किग बनाई जा रही हैं। पर्यटन सीजन में शिमला शहर में रोजाना 40 से 50 हजार अतिरिक्त वाहन आते हैं, इससे पार्किग की समस्या और ज्यादा विकराल हो जाती है।