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18 कॉलेजों के पास नहीं स्थायी मान्यता

हिमाचल सरकार कॉलेजों में सभी आधारभूत सुविधाएं मुहैया करवाने के दावे कर रही है। वहीं, 18 कॉलेजों के पास स्थायी मान्यता ही नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 07:01 PM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 07:01 PM (IST)
18 कॉलेजों के पास नहीं स्थायी मान्यता
18 कॉलेजों के पास नहीं स्थायी मान्यता

रविंद्र शर्मा, शिमला

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हिमाचल सरकार कॉलेजों में सभी आधारभूत सुविधाएं मुहैया करवाने के दावे कर रही है। लेकिन प्रदेश के 18 कॉलेजों के पास हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) शिमला की स्थायी मान्यता ही नहीं है। ऐसे में इन कॉलेजों को चाहकर भी राष्ट्रीय मूल्याकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) से मान्यता नहीं मिल सकती है।

प्रदेश के करीब 64 कॉलेज नैक से मान्यता प्राप्त करने की श्रेणी में आते हैं। इनमें से 18 कॉलेजों के पास एचपीयू का स्थायी मान्यता प्रमाणपत्र नहीं है। कुछ कॉलेजों ने पैसे की कमी के कारण एचपीयू के पास स्थायी मान्यता लेने के लिए आवेदन नहीं किया है। कॉलेज प्रबंधन पैसा न होने की बात कहकर इस मामले से अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। कुछ कॉलेजों ने आवेदन किया है मगर उन्हें एचपीयू से स्थायी मान्यता प्रमाणपत्र जारी नहीं किया गया है। ऐसे में शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में आ गई है। यह है मानक

स्थायी मान्यता के लिए कॉलेज से कम से कम दो बैच निकलने चाहिए। इसके बाद ही कॉलेज प्रबंधन स्थायी मान्यता के लिए आवेदन कर सकता है। इस मानक को पूरा करने पर भी प्रदेश के 18 कॉलेजों के पास स्थायी मान्यता नहीं है। प्रदेश में नए कॉलेज खुलने के साथ विवि से तो मान्यता मिलती है मगर वह केवल परीक्षा आयोजित करवाने के लिए होती है। नैक से मान्यता के लिए प्रमाणपत्र जरूरी

नैक की मान्यता लेने के लिए विवि से स्थायी मान्यता प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य है। जब तक कॉलेज के पास नैक की मान्यता नहीं होगी, उसे आधारभूत ढांचा विकसित करने के लिए राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के तहत करोड़ों रुपये का बजट नहीं मिलेगा। प्रदेश के करीब 35 कॉलेजों को ही रूसा के तहत बजट जारी हुआ है। आठ कॉलेजों ने तो मानक पूरे होने के बावजूद नैक के लिए आवेदन नहीं किया है। इन कॉलेजों के पास नहीं स्थायी मान्यता

कॉलेज,कब खुला

राजकीय महाविद्यालय सराज,2007

राजकीय महाविद्यालय सलूनी,2006

राजकीय महाविद्यालय हरिपुरधार,2011

राजकीय महाविद्यालय धर्मपुर,2007

राजकीय महाविद्यालय झंडूता,2007

राजकीय महाविद्यालय पांगी,2007

राजकीय महाविद्यालय जयसिंहपुर,2007

राजकीय महाविद्यालय हरिपुर,2007

राजकीय महाविद्यालय तीसा,2006

राजकीय महाविद्यालय शाहपुर,2006

राजकीय महाविद्यालय बड़सर,2006

राजकीय महाविद्यालय आनी,2006

राजकीय महाविद्यालय द्रंग,2006

राजकीय महाविद्यालय भरमौर,2005

राजकीय महाविद्यालय थुरल,2005

राजकीय महाविद्यालय सुजानपुर,2001

राजकीय महाविद्यालय इंदौरा,1995

राजकीय महाविद्यालय कुकुमसेरी,1995 मामले की होगा जांच

मामला ध्यान में आया है। जांच की जाएगी कि इन कॉलेजों को प्रदेश विवि से स्थायी मान्यता लेने में देर क्यों हुई। इन्हें जल्द विवि का स्थायी मान्यता प्रमाणपत्र मुहैया करवाने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे।

सुरेश भारद्वाज, शिक्षा मंत्री


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