एक पाठ्यक्रम होने से प्रतिभा का लगेगा पता
उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के दौर में अंकों का फ
जागरण संवाददाता, शिमला : उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के दौर में अंकों का फासला कहीं न कहीं विद्यार्थियों का हौसला तोड़ रहा है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) का पाठ्यक्रम से लेकर परीक्षा पैटर्न क्षेत्रीय बोर्डो से पूरी तरह भिन्न है। सीबीएसई के अधिकतर विद्यार्थियों के अंक 95 से 100 फीसद तक आते हैं, जबकि हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड में अधिकतर विद्यार्थियों के अंक 65 से 80 फीसद ही होते हैं। शिक्षाविदों की माने तो देश में यदि एक ही कक्षा के विद्यार्थियों की प्रतिभा की पहचान परीक्षा से करनी है तो इसके लिए परीक्षा और पाठ्यक्रम एक सामान होना चाहिए। शिक्षा बोर्ड के पिछले दो साल के अंकों पर नजर डालें तो 2019 में 98.6 फीसद वाले ने टॉप किया था, जबकि वर्ष 2020 में 99.4 वाले ने टॉप किया है, जबकि सीबीएसई में 99 और 100 फीसद अंक लेकर छात्र अव्वल आते हैं।
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दाखिला तो परीक्षा के आधार पर मिलेगा
अंकों के आधार पर विद्यार्थियों की प्रतिभा का आकलन नहीं किया जा सकता। जमा दो के बाद आगे की पढ़ाई में दाखिले के लिए अंकों की औसत तय की जाती है। इसके अलावा प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करनी पड़ती है। ऐसे में अंकों से ज्यादा विद्यार्थियों में प्रतिभा जरूरी है। सीबीएसई और हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के परीक्षा पैटर्न में अंतर है। क्षेत्रीय बोर्ड की परीक्षाओं का पैटर्न और मूल्यांकन की पद्धति बिल्कुल ठीक है। इससे सही मूल्यांकन होता है।
-प्रो. सुनील कुमार गुप्ता, अध्यक्ष उच्च शिक्षा परिषद व पूर्व कुलपति एचपीयू।
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शिक्षकों को लगता है जेब से अंक दे रहे है
सीबीएसई और प्रदेश के बोर्ड की मूल्यांकन प्रणाली काफी भिन्न है। इसका खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ता है। सीबीएसई के विद्यार्थी 100 फीसद अंक भी ला रहे हैं। 95 फीसद से ज्यादा अंक लाने वाले विद्यार्थियों की संख्या काफी ज्यादा रहती है, जबकि प्रदेश के बार्ड में अधिकतर कक्षाओं के विद्यार्थियों के अंक 90 फीसद से कम आते हैं। हिमाचल के शिक्षक जो पेपर चेक करते हैं वे भी अंक देने में कंजूसी करते हैं। पूरे देश में एक जैसा परीक्षा पैटर्न होना चाहिए तभी प्रतिभा का सही मूल्यांकन होगा।
-जीवन शर्मा, सेवानिवृत्त शिक्षा उपनिदेशक।
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परीक्षा पैटर्न एक जैसा हो
हर राज्य में परीक्षा का अलग-अलग पैर्टन है। यह सीबीएसई से पूरी तरह भिन्न है। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड का मूल्यांकन और परीक्षा पैटर्न सीबीएसई से भिन्न है। जब पैटर्न एक जैसा होगा तभी विद्यार्थियों की असली प्रतिभा का पता चल सकेगा। इसमें सरकार को चाहिए कि हिमाचल के विद्यार्थी अच्छा प्रदर्शन करें तो कई बदलाव समय के साथ करने होंगे।
-डॉ. अमरदेव, सेवानिवृत्त उच्च शिक्षा निदेशक। सीबीएसई पैटर्न पर बोर्ड ने किए थे बदलाव
सीबीएसई के स्कूल शहरी क्षेत्रों में हैं। इससे विद्यार्थियों को ज्यादा एक्सपोजर मिलता है। सिलेबस, परीक्षा पद्धति और मूल्यांकन प्रणाली में काफी भिन्नता है। प्रदेश के बोर्ड ने कुछ साल पहले परीक्षा प्रणाली में काफी बदलाव किए थे। इसका असर देखने को मिला था। समय के साथ बदलाव जरूरी हैं। हालांकि हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड की मूल्यांकन प्रणाली अच्छी है।
-एमएल आजाद, सेवानिवृत्त अतिरिक्त शिक्षा निदेशक।
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केवल अच्छे अंक लाना था मकसद
परीक्षा की तैयारी के लिए सही टाइम टेबल बनाया गया है। परीक्षा पैटर्न कैसा है, सवाल कैसे आएंगे यह सारी चीजें पाठ्यक्रम का हिस्सा होता है। इसे ध्यान में रखते हुए ही तैयारी की जाती है। प्रश्नपत्र कैसा आया, कैसे उसे हल किया गया, इसके आधार पर ही अंक आते हैं। अच्छे अंक आने के लिए ही तैयारी करते हैं।
-वैभव, डीएवी न्यू शिमला स्कूल का टॉपर छात्र।
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कई विकल्प वाले प्रश्नों का फायदा
साल में स्कूल में जो पढ़ाया जाता है उसी के हिसाब से परीक्षा की तैयारी की जाती है। वार्षिक परीक्षाओं से पहले जो अर्धवार्षिक परीक्षाएं होती हैं, उनका पैटर्न ही वार्षिक परीक्षाओं का पैटर्न रहता है। कई विकल्प वाले प्रश्नों का फायदा ये होता है कि उसमें पूरे अंक आते हैं। सब्जेक्टिव प्रश्नों में अंक कटने का डर रहता है।
-भावना शर्मा, फागली स्कूल।