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धारा-118 में कोई संशोधन नहीं हुआ

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने साफ शब्दों में कहा कि त्रुटि पर्यटन विभाग की ओर से हुई है तभी बेवसाइट पर जानकारी अपलोड हुई। जांच के आदेश दिए गए हैं रिपोर्ट आने के बाद जिम्मेदारी तय होगी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Aug 2019 10:08 PM (IST)Updated: Mon, 26 Aug 2019 10:08 PM (IST)
धारा-118 में कोई संशोधन नहीं हुआ
धारा-118 में कोई संशोधन नहीं हुआ

राज्य ब्यूरो, शिमला : मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश भाजपा सरकार ने भू राजस्व अधिनियम की धारा-118 में कोई संशोधन नहीं किया है। लैंड सीलिग एक्ट व घाटे में चल रहे सरकारी होटलों को निजी क्षेत्र को सौंपने के मामले में तकनीकी गलती पर्यटन विभाग की ओर से हुई। ऐसा होने पर यह जानकारी वेबसाइट पर अपलोड हुई। इस मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद जिम्मेदारी तय होगी।

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मुख्यमंत्री ने विधानसभा में पत्रकारों से कहा कि चाय बागानों का उपयोग होटल व दूसरी गतिविधियों को करने के लिए इजाजत नहीं दी गई है। मंत्रिमंडल, राजस्व विभाग और पर्यटन विभाग ने इस प्रकार का फैसला नहीं लिया है। मुख्यमंत्री ने इस मामले में कांग्रेस को घेरा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता से जाने से पहले चाय बागानों के लिए रास्ता खोला था। मंगलवार को विधानसभा में धारा-118 को लेकर फैलाई जा रही भ्रांतियों को स्पष्ट किया जाएगा। उन्होंने विपक्षी कांग्रेस के हिमाचल बेचने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि शोर मचाने से कुछ नहीं होगा। प्रदेश सरकार हिमाचल के हितों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। विभाग की ओर से हुई त्रुटि के कारण डाक्यूमेंट इन्वेस्टर मीट की नॉलेज पार्टनर कंपनी ईएंडवाई को जो मैटेरियल दिया गया, वह वेबसाइट पर अपलोड हुआ। मामला सामने आने के तुरंत बाद इस गलती को सुधार कर संबंधित जानकारी हटा दी गई। हालांकि विभाग से रिपोर्ट आने के बाद पूरी स्थिति स्पष्ट होगी। लेकिन राज्य पर्यटन निगम की कुछ घाटे की इकाइयों का जिक्र सामने आया है। इसमें ऐसी इकाइयों को विनिवेश करने की बात कही गई है। दूसरा मामला लैंड सीलिग का है। हिमाचल प्रदेश लैंड सीलिग एक्ट 1972 की धारा 6ए व 7ए के तहत चाय बागानों की भूमि के मौजूदा प्रावधानों को बदलने के लिए 27 सितंबर 2017 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने बदलाव किया था। जिन चाय बागान मालिकों को सीलिग एक्ट से छूट प्राप्त हुई थी, उनका कहना था कि वे पर्यटन को बढ़ावा देना चाहते हैं। वे कई तरह की दूसरी गतिविधियां संचालित करने की इजाजत चाहते हैं। लेकिन भाजपा सरकार ने चाय बागानों से जुड़े किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। एक-दूसरे पर डाल रहे जिम्मेदारी

इस मामले में पर्यटन विभाग और उद्योग विभाग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं। सोमवार सुबह सचिवालय में मुख्यमंत्री कार्यालय में आयोजित बैठक में आला अधिकारी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं थे। आला अधिकारी एक-दूसरे को जिम्मेदार बता रहे थे। सात कैफे व 13 होटल घाटे में

राज्य पर्यटन विकास निगम के सात कैफे काफी समय से घाटे में चल रहे हैं। निगम के 13 होटल भी घाटे में हैं। इन्हें घाटे से बाहर लाने के लिए विनिवेश करने का प्रस्ताव लाया गया था।


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