हरियाणा की तर्ज पर बनेगी हिमाचल की खेल नीति
हिमाचल में सरकार अलग से कोई नई खेल नीति नहीं ला रही है, खेल नीति 2001 में ही संशोधन किया जा रहा है।
राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल की खेल नीति हरियाणा की तर्ज पर तैयार की जाएगी। प्रदेश सरकार ने हरियाणा की खेल नीति का अध्ययन कर ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। अब खेल संघों के साथ बैठक कर इस पर चर्चा की जाएगी। नवंबर में खेल संघों के साथ बैठक की जाएगी। विभाग ने यह भी साफ कर दिया है कि प्रदेश सरकार अलग से कोई नई खेल नीति नहीं ला रही है, बल्कि खेल नीति 2001 में ही संशोधन किया जा रहा है। इस कारण खेल नीति के लिए कोई बिल नहीं लाया जाएगा।
सूत्रों की मानें तो ड्राफ्ट में खिलाड़ियों को हरियाणा की तर्ज पर लाभ और सुविधाएं देने की बात कही गई है। इसके अलावा राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता और ओलंपियक खेलों में पदक लाने वाले खिलाड़ियों को सरकार की ओर से दी जानी वाली सम्मान राशि को भी हरियाणा की तर्ज पर बढ़ाने की बात की गई है।
नया खेल नहीं किया शामिल खेल नीति में संशोधन के लिए तैयार किए गए ड्राफ्ट में कोई भी नया खेल प्रदेश की खेल सूची में शामिल नहीं किया गया है। इसमें ओलंपिक खेलों की सूची वाले खेल ही शामिल हैं। प्रदेश में 17 वर्ष पुरानी खेल नीति के सहारे खिलाड़ी अपना हुनर दिखाने का प्रयास कर रहे थे।
- पूर्व सरकार ने भी की थी कोशिश पूर्व कांग्रेस सरकार ने हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एचपीसीए) के बहाने 19 खेल संघों पर कंट्रोल करने के लिए ही बिल पेश किया था, जिसे प्रदेश की वर्तमान भाजपा सरकार ने वापस लिया है। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही खेल विधेयक को विधानसभा में पारित किया था, लेकिन राज्यपाल से मंजूरी नहीं मिलने के कारण लागू नहीं हो पाया। जिसे वर्तमान सरकार के पहले बजट सत्र में बिल को वापस लिया गया।
खेल नीति-2018 हरियाणा की तर्ज पर बनाई जाएगी। इसका ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। नवंबर में खेल संघों के साथ बैठक कर इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा। इसे लेकर कोई विधेयक नहीं लाया जाएगा। खेल नीति-2001 में ही संशोधन किया जाएगा।
-गोविंद सिंह ठाकुर, युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री।