30 कॉलेजों की ग्रांट पर संकट
प्रदेश के तीस कॉलेजों के पास नेक से एक्रिडेशन नहीं है। ऐसे में इन कॉलेजों को केंद्र से आने वाली सभी प्रकार की ग्रांट रूक सकती है। इसे देखते हुए उच्च्तर शिक्षा परिषद ने इन तीस कॉलेजों के प्रिसीपलों की बुधवार को बैठक बुलाई। बैठक में कॉलेजों के प्रिसीपलों को नेक से एक्रिडेशन के लिए आवेदन करने के निर्देश दिए गए। उच्चतर शिक्षा परिषद के चेयरमैन सुनील गुप्ता ने कहा कि यदि नेक से एक्रिडेशन नहीं होगी तो कॉलेज को किसी भी प्रकार की ग्रांट नहीं मिलेगी। दूसरी ओर कॉलेजों ने नेक की एक्रिडेशन के आवेदन करने को लेकर पेश आ रही दि
राज्य ब्यूरो, शिमला : प्रदेश के 30 कॉलेजों के पास राष्ट्रीय मूल्याकंन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की मान्यता नहीं है। इससे इन कॉलेजों की केंद्र से मिलने वाली ग्रांट रुक सकती है। इस संबंध में उच्चतर शिक्षा परिषद ने बुधवार को 30 कॉलेजों के प्रिंसिपलों की बैठक बुलाई थी। इसमें सभी को नैक से मान्यता के लिए आवेदन करने के निर्देश दिए गए।
इस दौरान उच्चतर शिक्षा परिषद के चेयरमैन सुनील गुप्ता ने कहा कि यदि नैक से मान्यता नहीं होगी तो कॉलेज को किसी भी प्रकार की ग्रांट नहीं मिलेगी। इस पर प्रिंसिपलों ने मान्यता के लिए आवेदन को लेकर आ रही दिक्कतों के बारे में अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि नेक की मान्यता से पहले हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से भी मान्यता लेना अनिवार्य है। 18 कॉलेजों के पास हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) शिमला की स्थायी मान्यता ही नहीं है। इसलिए इन कॉलेजों को नैक से मान्यता नहीं मिल सकती। कुछ प्रिंसिपलों ने कहा कि पैसे की कमी के कारण एचपीयू के पास स्थायी मान्यता के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। कुछ कॉलेजों ने आवेदन किया है, मगर उन्हें एचपीयू से स्थायी मान्यता प्रमाणपत्र जारी नहीं किया है। विश्वविद्यालय से मान्यता लेने के लिए भारी-भरकम फीस चुकानी पड़ती है। कई कॉलेज नए हैं इस कारण उनके पास फंड नहीं है। बैठक में उच्चतर शिक्षा निदेशालय के निदेशक डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा, रूसा के राज्य प्रोजेक्ट अधिकारी डॉ. गोपाल संघैक भी मौजूद थे।
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यह हैं मानक
स्थायी मान्यता के लिए कॉलेज से कम से कम दो बैच निकलने चाहिए। इसके बाद ही कॉलेज प्रबंधन स्थायी मान्यता के लिए आवेदन कर सकता है। इस मानक को पूरा करने पर भी प्रदेश के 18 कॉलेजों के पास स्थायी मान्यता नहीं है। प्रदेश में नए कॉलेज खुलने के साथ विवि से तो मान्यता मिलती है, मगर सिर्फ परीक्षा आयोजित करवाने के लिए होती है।
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इन कॉलेजों के पास नहीं स्थायी मान्यता
राजकीय महाविद्यालय नेरवा, सुन्नी, शिलाई, चुवाड़ी, नगरोटा बगवां, नूरपुर, हरिपुर (गुलेर), जयसिंहपुर, संगड़ाह, नौरा, राजगढ़, आरकेएमवी शिमला, सुजानपुर टीहरा, अर्की, द्रंग (नारला, मंडी), धर्मपुर (मंडी), इंदौरा, आनी (हरिपुर), हरिपुरधार, लंबाथाच (सराज), सूलणी, भरमौर, कुकुमसेरी, थुरल, सरकाघाट, जोगेंद्रनगर, बैजनाथ, दौलतपुर चौक व पांगी कॉलेज।