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26/11 मुंबई हमला: ब्रिगेडियर सिसोदिया ने साझा किए अनुभव कहा, नाज है हमने बचाया सम्मान का ताज

सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर जीएस सिसोदिया ने साझा किए 26/11 हमले के अनुभव, 11बजे रात को परिवार को दिल्ली में सोता छोड़ निकल गए थे मिशन पर।

By Edited By: Published: Sun, 25 Nov 2018 06:52 PM (IST)Updated: Mon, 26 Nov 2018 11:01 AM (IST)
26/11 मुंबई हमला: ब्रिगेडियर सिसोदिया ने साझा किए अनुभव कहा, नाज है हमने बचाया सम्मान का ताज
26/11 मुंबई हमला: ब्रिगेडियर सिसोदिया ने साझा किए अनुभव कहा, नाज है हमने बचाया सम्मान का ताज

शिमला, अजय बन्याल। 'मुझे नाज है हमने केवल होटल ताज को ही नहीं बल्कि देश-दुनिया में बैठे हर भारतीय के सम्मान को बचाया। यह हमला होटल ताज पर नहीं हुआ था, बल्कि भारत पर था। मीडिया के माध्यम से सबकी निगाह होटल ताज पर टिकी हुई थी। हमने सभी आतंकियों को मार गिराकर कई अनमोल जिंदगियां बचाई थी।'

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26/11 हमले के दस साल पूरे होने पर एनएसजी कमांडो के तत्कालीन डीआइडी ब्रिगेडियर जीएस सिसोदिया ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में उस समय के अनुभव बताए। उन्होंने कहा, वह दिल्ली के चाणक्यपुरी क्षेत्र में अपने घर पर थे। टीवी पर मुंबई हमले के बारे में खबरें चल रही थी। शुरू में यही लग रहा था कि कोई गैंगवार हो रहा है। लेकिन कुछ समय बाद स्थिति साफ हो गई कि यह आंतकी हमला है। इसके बाद गृह विभाग से आदेश आया। रात 11 बजे डायरेक्टर जरनल एनएसजी का मैसेज मिला कि मुंबई के लिए निकलना है।

उस समय मेरी पत्नी और बेटा सो रहे थे। मैंने उनसे बात किए बिना ही सामान पैक किया और दिल्ली एयरपोर्ट के लिए निकल पड़ा। एनएसजी के करीब 200 कमांडो का ग्रुप एयरपोर्ट की ओर रवाना हो रहा था। हम सभी पल-पल की जानकारी रख रहे थे। हम तीन बजे एयरपोर्ट पहुंचे। वहां से सुबह पांच बजे मुंबई पहुंच गए। वहां के आइपीएस राकेश आर्य ने ताज होटल और आसपास के माहौल के बारे में हमें जानकारी मुहैया करवाई। हमने ताज होटल, ओबराय और नरीमन हाउस पर तीन टुकड़ियां एनएसजी की भेज दी। इन तीनों जगह से आतंकियों का सफाया इनके जिम्मे था।

सिसोदिया ने कहा, हमले की जवाबी कार्रवाई में सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि आम जनमानस को कोई क्षति न पंहुचाते हुए आतंकियों का सफाया करना। इसमें भारतीय सेना की कार्रवाई सफल भी रही और किसी आमजन को क्षति नहीं पहुंची। अजमल कसाब को छोड़कर सभी आतंकी मारे गए। हालांकि भारतीय सेना ने दो अनमोल जवान खो दिए। जवाबी हमले में शहीद हुए टीम के सदस्यों मेजर उन्नीकृष्णन और गजेंद्र सिंह को आज भी याद करते हुए बहुत दु:ख होता है। साथ में ही उन पर गर्व भी होता है कि वह देश के लिए लड़ते हुए शहीद हुए। अगर वह जिंदा होते तो आज जीत का जश्न मना रहा रहे होते।

मुंबई हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इस दौरान मुझे घर से दो बार कॉल आई थी। परिवार का हौंसला मेरी ताकत बना रहा। कसाब से की थी एक घंटे पूछताछ 26 से 28 नवंबर 2008 तक रात-दिन चली मुठभेड़ के बाद गोविंद सिंह सिसोदिया के नेतृत्व में कमांडो ने आतंकियों को मार गिराया था और एक को जिंदा पकड़ लिया गया। इस एकमात्र आतंकी अजमल कसाब को बाद में पुणे की जेल में फासी दे दी गई।

सिसोदिया ने कहा, मैंने कसाब से पूछताछ भी की थी, जिसमें कई राज उजागर हुए थे। पकड़े गए आतंकी की वजह से ही पाकिस्तान को भारत अंतरराष्ट्रीय जगत में शर्मिंदा कर पाया था। कसाब काफी ट्रेंड था। उन सब आतंकियों को पाकिस्तान में 11 माह की ट्रेनिंग दी गई थी। वे मरने और मारने के लिए तैयार था। हमले के दौरान वह पल-पल की खबर पाकिस्तान में बैठे आकाओं को दे रहे थे।

जीवन परिचय

ब्रिगेडियर गोविंद सिंह सिसोदिया का जन्म हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के चौपाल कसबे के भरनो गांव में हुआ। चार भाइयों में से सबसे छोटे हैं। पत्नी नीरजा सिसोदिया गृहिणी हैं। बेटा अभिमन्यु सिंह सिसोदिया अमेरिकी कंपनी में कार्यरत हैं। इनके पिता शेर सिंह सिसोदिया राजस्व सेवा में अधिकारी थे। उन्होंने मंडी शहर के गवर्नमेंट विजय हाई स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। 1975 में भारतीय सेना (16 सिख रेजिमेंट) ज्वाइन करने से पहले उन्होंने एसडी कॉलेज शिमला से उच्च शिक्षा प्राप्त की। बाद में उन्होंने 19 और 20 सिख रेजिमेंट का नेतृत्व भी किया।

1987 में भारतीय सेना के श्रीलंका में शांति स्थापना के अभियान में उन्होंने बहादुरी से भाग लिया। एक आतंकवादी हमले के दौरान गोली लगने से वह घायल भी हुए थे। बाद में उन्होंने कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ भारतीय सेना के कई ऑपरेशन में हिस्सा लिया। ब्रिगेडियर सिसोदिया ने करीब 35 साल तक सेना में रहकर देश की सेवा की। मुंबई हमले पर सफल ऑपरेशन के लिए उन्हें विशिष्ट सेवा मेडल दिया गया।


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