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दिवाली की रात शिमला में पटाखों से आठ दिन में सर्वाधिक प्रदूषण

दिवाली की रात शिमला में प्रदूषण का स्तर अधिक रहा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 08:30 PM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 08:30 PM (IST)
दिवाली की रात शिमला में पटाखों
से आठ दिन में सर्वाधिक प्रदूषण
दिवाली की रात शिमला में पटाखों से आठ दिन में सर्वाधिक प्रदूषण

-76.0 माइक्रोग्राम रहा आरएसपीएम

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-शिमला के उपनगरों में भी प्रदूषण का स्तर अधिक रहा

-डरने की नहीं बात, शिमला शहर में प्रदूषण की स्थिति संतोषजनक

राज्य ब्यूरो, शिमला : जीने के लिए सबसे जरूरी है साफ हवा। पर्यावरण संरक्षण के लिए कई लोग आगे आए हैं। लेकिन कुछ लोग अभी भी इस दिशा में कदम नहीं बढ़ा पाए हैं। यही कारण रहा कि पहाड़ों की रानी शिमला में इस बार दिवाली की रात लोगों ने जो पटाखे फोड़े, उससे प्रदूषण का स्तर पिछले आठ दिनों की अपेक्षा अधिक रहा। हालांकि इस मामले में डरने या चिंतित होने की जरूरत नहीं है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इसे खतरे की बात नहीं मानता है। बोर्ड के अनुसार शिमला शहर में स्थिति संतोषजनक है।

शिमला में दिवाली की रात रेस्पिरेबल सस्पेंडिड पार्टिकुलेट मैटर (आरएसपीएम) 76.0 माइक्रोग्राम रहा। वहीं, पार्टिकुलेट मैटर (पीएम-टू) 49.0 माइक्रोग्राम रहा। शिमला शहर के उपनगरों में भी प्रदूषण का स्तर सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक रहा। उपनगरों में प्रदूषण का स्तर मापने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से यंत्र स्थापित नहीं किए गए हैं। लेकिन लोगों ने अनुभव किया कि उपनगरों में दिवाली पर प्रदूषण अधिक था। संजौली, छोटा शिमला, कसुम्पटी, विकासनगर, न्यू शिमला, बालूगंज, टुटू, लक्कड़ बाजार व ढली में वाहनों की आवाजाही अधिक रहती है। इस कारण इन स्थानों पर प्रदूषण अधिक होता है। बस स्टैंड शिमला में अधिक प्रदूषण

शिमला में बस स्टैंड शहर का सर्वाधिक भीड़भाड़ वाला क्षेत्र है। यहां शहर के अन्य भागों की तुलना में प्रदूषण अधिक होता है। बस स्टैंड में वाहनों की भीड़ से सल्फर डाइऑक्साइड व आक्सिडाइज नाइट्रोजन की मात्रा दिवाली पर अधिक रही। प्रदूषण के स्तर को आंकने के लिए आरएसपीएम 100 माइक्रोग्राम के भीतर रहना चाहिए। पीएम-टू की मात्रा 60 माइक्रोग्राम की सीमा में रहनी चाहिए जो संतोषजनक मानी जाती है। रिज के प्रदूषण स्तर का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं

रिज मैदान के ऊपर टका बैंच पर तीन दशक से प्रदूषण का स्तर मापने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आब्जरवेट्री स्थापित की थी। नगर निगम शिमला ने इसे टका बैंच को संवारने के कार्य के दौरान उठाया था। टका बैंच को संवारे करीब एक साल हो चुका है। लेकिन निगम प्रशासन की ओर से प्रदूषण का स्तर मापने के लिए ऑब्जरवेट्री पुन: स्थापित नहीं की गई है। इसका नतीजा यह है कि रिज व इसके आसपास के क्षेत्रों के प्रदूषण स्तर का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हो पाता है। तिथि,आरएसपीएम,पीएम-टू,सल्फर डाइऑक्साइड,ऑक्सिडाइज नाइट्रोजन

31 अक्टूबर,56.3,31.3,2.0,39.9

1 नवंबर,59.0,33.0,6.7,28.6

2 नवंबर,48.3,35.3,2.0,24.8

3 नवंबर,53.0,28.5,2.0,18.2

4 नवंबर,64.0,46.3,2.0,16.4

5 नवंबर,55.0,36.0,2.0,16.6

6 नवंबर,53.3,38.0,2.0,15.7

7 नवंबर,76.0,49.0,3.7,16.8

(आरएसपीएम, पीएम-टू, सल्फर डाइऑक्साइड व ऑक्सिडाइज नाइट्रोजन माइक्रोग्राम में) इस बार कम हुआ प्रदूषण

शिमला शहर के लोगों ने इस बार दिवाली पर गत वर्ष की तुलना में कम प्रदूषण फैलाया। इस वर्ष दिवाली पर कम पटाखे फोड़े गए। प्रदूषण से संबंधित पूरे प्रदेश की रिपोर्ट 12 नवंबर तक आएगी। अनुमान के मुताबिक इस बार प्रदेश में दिवाली पर होने वाला प्रदूषण घटा है।

-डॉ. आरके पुरुथी, सदस्य सचिव, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड


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