पहले से और हिसक हुए बंदर
लॉकडाउन का असर इंसान पर ही नहीं बेजुबान बंदरों पर भी पड़ा है। भोजन मिलने के सभी ठिकाने बंद रहने के कारण ये पहले से अधिक हिसक हो गए हैं। इनके शहरों से गांवों में पलायन करने की वजह से अन्नदाताओं की आर्थिकी को बड़ा खतरा पैदा हो गया है। बंदर किसानों की फसलों को उजाड़ सकते हैं। इसे देखते हुए किसानों ने सरकार से ऐसे वक्त में वैज्ञनिक आधार पर कलिग करने की मांग उठाई है। अभी प्रदेश की 91 तहसीलों उपतहसीलों में बंदर वर्मन यानी पीड़क जंतु घोषित नहीं है। इस कारण इन्हें मारना कानूनन अपराध है। वर्मिन घोषित करने का प्रस्ताव केंद्र के पर्यावरण वन एवं जलवायु मंत्रालय के पास विचाराधीन है।
राज्य ब्यूरो, शिमला : लॉकडाउन का असर लोगों पर ही नहीं बल्कि बंदरों पर भी पड़ा है। भोजन मिलने के सभी ठिकाने बंद होने के कारण हिमाचल में बंदर पहले से अधिक हिसक हो गए हैं। इनके शहरों से गांवों तक पहुंचने की वजह से किसानों की आर्थिकी को खतरा हो गया है।
बंदर फसलों को उजाड़ सकते हैं। किसानों ने सरकार से बंदरों की विज्ञानी आधार पर कलिंग करने की मांग की है। प्रदेश की 91 तहसीलों व उपतहसीलों में बंदर वर्मन यानी पीड़क जंतु घोषित नहीं हैं। इस कारण इन्हें मारना कानूनन अपराध है। वर्मिन घोषित करने का प्रस्ताव केंद्र के पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय के पास विचाराधीन है। केवल शिमला नगर निगम क्षेत्र में ही बंदरों को मारा जा सकता है। यहां अवधि समाप्त नहीं हुई है। शहरों में मंदिर बंद होने के कारण बंदर निकटवर्ती क्षेत्रों की ओर चले गए हैं। बंदर पहले महिलाओं व बच्चों से खाने का सामान झपटकर भी भूख मिटा लेते थे। लॉकडाउन के कारण अब ऐसा नहीं हो रहा है। शिमला में जाखू, संकटमोचन से बंदर निकटवर्ती पंचायतों की ओर आकर लोगों पर हमला करने लगे हैं। बंदरों की संख्या आंकने के सर्वे
वर्ष,बंदर
2004,317512
2013,226086
2017,297614
2019-20,136443
--------- बंदरों की संख्या पहले से कम हो गई है। ताजा सर्वे के आंकड़े इसके गवाह हैं। विभागीय सूचना के अनुसार बंदर वापस जंगलों की तरफ पुराने ठिकानों में चले गए हैं। बंदरों को वर्मिन घोषित करने का प्रस्ताव केंद्र के पास विचाराधीन है।
डॉ. सविता, पीसीसीएफ, वन्य प्राणी विग