अब बच नही पाएगा साइबर अपराधी, खराब मोबाइल का नष्ट डाटा भी होगा पुनर्जीवित
Mobiles destroyed data will revived मोबाइल फोन में अपराध का कोई भी सुराग कैद होने पर अपराधी अब बच नही पाएगा नई तकनीक से खराब मोबाइल का नष्ट डाटा भी अब वापिस मिल सकता है।
शिमला, रमेश सिंगटा। सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) के साथ कदमताल करने वाले अपराधियों की अब खैर नहीं होगी। अगर मोबाइल फोन में अपराध का कोई भी सुराग कैद हो गया तो समझो अपराधी पक्का सलाखों के पीछे होगा। ज्वाइंट टास्क एक्शन ग्रुप और चिप ऑफ सॉफ्टवेयर से ऐसा संभव होगा। इन दोनों सॉफ्टवेयर को स्टेट फॉरेंसिक साइंस प्रयोगशाला में स्थापित किया जाएगा। यह साइबर अपराधों का तिलिस्म तोड़ेगा। इसके माध्यम से किसी भी खराब मोबाइल फोन का नष्ट डाटा पुनर्जीवित हो सकेगा। इसके लिए दो अत्याधुनिक मशीनें खरीदी जाएगी।
उत्तर भारत में यह तकनीक अभी कहीं नहीं है। हिमाचल यह तकनीक हासिल करना वाला पहला राज्य होगा। इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मदद के हाथ बढ़ा दिए है। मंत्रालय के वूमेन सेफ्टी डिविजन के अवर सचिव आरके सोनी की ओर से राज्य सरकार को पत्र प्राप्त हुआ है। इनमें निर्भया योजना के तहत प्रदेश की फॉरेंसिक साइंस प्रयोगशाला को सशक्त करने की बात कही गई है। इस योजना के तहत कुल नौ करोड़ 29 लाख की धनराशि स्वीकृति दी है। इसमें से पहली किस्त 3.64 करोड़ में 98 लाख जारी किए गए हैं। यह ग्रांट टू एड होगी। यानी राज्यों के लिए मिलने वाली विशेष सहायता। हिमाचल विशेष राज्यों की श्रेणी में आता है। 98 लाख का पैसा 15 दिन के भीतर स्टेट फॉरेंसिक साइंस प्रयोगशाला के खाते में जमा करवाना होगा। देरी के लिए राज्य सरकार को 12 फीसद की ब्याज चुकाना होगा।
स्टेट ऑफ द आर्ट बनेगी लैब
स्टेट फॉरेंसिक साइंस प्रयोगशाला को स्टेट ऑफ द आर्ट बनाया जाएगा। यह बेहद अत्याधुनिक तकनीक से लैस होगी। केंद्र के सहयोग से क्षेत्रीय प्रयोगशाला धर्मशाला को भी मजबूती दी जाएगी। दोनों जगहों पर साइबर अपराधों से निपटने के लिए तैयारियां आरंभ हो गई है।
क्या है निर्भया फंड
दिल्ली में 2012 में हुए निर्भया दुष्कर्म कांड की जघन्यता ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। इसे देखते हुए तत्कालीन केंद्र सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए समर्पित एक विशेष फंड की घोषणा की थी। इसका नाम निर्भया फंड रखा गया था।
नई मशीनें करोड़ों की लागत से स्थापित होंगी। इनमें दो सॉफ्टवेयर स्थापित किए जाएंगे। यह तकनीक फिलहाल
उत्तर भारत में नहीं है। हम इसमें पहले करेंगे। हिमाचल प्रदेश साइबर अपराधों ने निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। प्रयोगशाला में विशेषज्ञों के भी पद भरे जाएंगे। हमें केंद्र सरकार का पूरा सहयोग
मिल रहा है।
-डॉ. अरुण शर्मा, निदेशक, स्टेट फॉरेंसिक साइंस प्रयोगशाला, जुन्गा, शिमला