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माननीयों को भरना पड़ सकता है आयकर

प्रदेश में अब माननीयों को आयकर खुद अपनी जेब से भरना पड़ सकता है। राज्य सरकार ने इस संबंध में दैनिक जागरण की खबर का कड़ा संज्ञान लिया है। वह योगी सरकार की तर्ज पर कड़ा कदम उठाने की सोच रही है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इसके साफ संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा है कि इस मसले पर वह पहले अपने सहयोगियों के साथ चर्चा करेंगे। मंत्रियों के साथ विमर्श करने के बाद इस पर अंतिम मुहर कैबिनेट लेगी। सूत्रों के अनुसार इस मामले में सरकार संगठन यानी भाजपा नेताओं के साथ चर्चा करेगी। दोनों के बीच उचित संवाद स्थापित करने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Sep 2019 07:00 PM (IST)Updated: Thu, 19 Sep 2019 06:42 AM (IST)
माननीयों को भरना पड़ सकता है आयकर
माननीयों को भरना पड़ सकता है आयकर

राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल में अब माननीयों को आयकर अपनी जेब से भरना पड़ सकता है। प्रदेश सरकार ने इस संबंध में दैनिक जागरण की खबर का संज्ञान लिया है। हिमाचल की जयराम सरकार उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की तर्ज पर जल्द कड़ा कदम उठाने की सोच रही है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इसके संकेत दिए हैं।

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मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस मामले में वह पहले अपने सहयोगियों के साथ चर्चा करेंगे। मंत्रियों के साथ विमर्श करने के बाद इस मामले में अंतिम फैसला मंत्रिमंडल की बैठक में होगा। सूत्रों के अनुसार सरकार इस मामले में संगठन यानी भाजपा नेताओं के साथ चर्चा करेगी। दोनों के बीच उचित संवाद स्थापित करने के बाद ही निर्णय लिया जाएगा। पार्टी नेता भी चाहते हैं कि सरकार पहल करे क्योंकि माननीयों का यात्रा भत्ता बढ़ाए जाने से जनता के बीच गलत संदेश गया है। इस पर सरकार में हलचल शुरू हो गई है। इस सिलसिले में दैनिक जागरण की मुहिम रंग ला रही है।

राज्य सरकार अपने सरकारी खजाने से मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्रियों व विधायकों का सालाना चार करोड़ रुपये से अधिक का आयकर भर रही है। पूर्व विधायकों का भी करीब दो करोड़ रुपये आयकर सरकार ही चुका रही है। माननीयों का औसत वेतन (भत्तों सहित) ढाई लाख रुपये है। मंत्रियों का वेतन इनसे 15 से 20 हजार रुपये ज्यादा है। एक विधायक का साल में वेतन व भत्ता 30 लाख रुपये हुआ। दस लाख रुपये से अधिक आय पर 30 फीसद के स्लैब रेट से आयकर लगता है। कुल 68 विधायकों का वेतन 20 करोड़ रुपये से अधिक बनता है। इस आय पर करीब दो करोड़ की बचत के उपाय अपनाए जा रहे हैं। शेष आय पर सरकार आयकर चुका रही है। पहले यात्रा भत्ता अलग से ढाई लाख रुपये था। विधानसभा के मानसून सत्र में इसे बढ़ाकर चार लाख रुपये किया गया है।


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