जारी रहेगा मिड हिमालय वाटरशेड प्रोजेक्ट
हिमाचल में मिड हिमालय वाटरशेड प्रोजेक्ट बंद नहीं होगा। वर्ल्ड बैंक ने प्रोजेक्ट जारी रखने को सहमति दे दी है।
रमेश सिंगटा, शिमला
हिमाचल में मिड हिमालय वाटरशेड प्रोजेक्ट बंद नहीं होगा। वर्ल्ड बैंक इस प्रोजेक्ट को लेकर 650 करोड़ रुपये देने के लिए सैद्धांतिक तौर पर राजी हो गया है। इस संबंध में अब अक्टूबर या नवंबर में विस्तृत बातचीत होगी। 1134 करोड़ रुपये के बागवानी विकास प्रोजेक्ट के चक्कर में मिड हिमालय वाटरशेड प्रोजेक्ट से प्रदेश के हाथ धोने की नौबत आ गई थी लेकिन अधिकारियों ने इसे बचा लिया।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन) तरुण कपूर व वन विभाग के अधिकारियों की टीम ने हिमाचल के हितों को लेकर वर्ल्ड बैंक के पास दिल्ली में जोरदार पक्ष रखा। उनके तर्को को बैंक खारिज नहीं कर पाया। वर्ल्ड बैंक बागवानी को भी कृषि सेक्टर का ही हिस्सा मानता है। मिड हिमालय वाटरशेड प्रोजेक्ट की अवधि पिछले वर्ष सितंबर में पूरी हो गई थी। यह प्रोजेक्ट वर्ष 2006 से दो चरणों में चलाया गया। इसका नया चरण शुरू करने के लिए काफी समय से कवायद हो रही थी। अधिकारियों ने तर्क दिया कि यह सेक्टोरल प्रोजेक्ट नहीं है। वर्ल्ड बैंक के अधिकारियों का कहना था कि वाटरशेड जैसा ही ऊना में शुरू हुआ वन समृद्धि प्रोजेक्ट भी है। ऐसे में हिमाचल को प्रोजेक्ट के लिए और राशि क्यों दी जाए। दूसरे प्रोजेक्ट में समायोजित होंगे 140 कर्मचारी
मिड हिमालय वाटरशेड प्रोजेक्ट के 140 कर्मचारियों का स्टाफ जापान की मदद से हाल ही में शुरू हुए हरित आवरण बढ़ाने से जुड़े दूसरे प्रोजेक्ट में समायोजित होगा। इन्हें आउटसोर्स पर रखा जाएगा। इस संबंध में मंत्रिमंडल से मंजूरी मिल गई है। इसके अलावा नियमित स्टाफ के करीब 13 पद मंजूर किए गए हैं। ये पद वन अधिकारियों के लिए होंगे। तीन राज्यों में चले प्रोजेक्ट
राज्य,अवधि,प्रोजेक्ट लागत
हिमाचल,2006-2017,121.93
मध्य प्रदेश,2005-2015,418. 47
(उत्तराखंड,2004-2012,106.88
वर्ल्ड बैंक की मदद से हिमाचल, उत्तराखंड व मध्य-प्रदेश में वाटरशेड के अलग-अलग नाम से प्रोजेक्ट चले। प्रोजेक्ट लागत मिलियन यूएस डॉलर में।) कितने लाभार्थी
हिमाचल,144692
मध्य प्रदेश,243796
उत्तराखंड,19697 710 पंचायतें लाभान्वित
मिड हिमालय वाटरशेड प्रोजेक्ट में हिमाचल में 10 जिलों की 602 पंचायतें शामिल की गई। बाद में ये पंचायतें 710 हो गई। इनमें पहले चरण में 2.26 लाख ग्रामीण परिवार लाभान्वित हुए। बाद में इनमें 0.46 लाख परिवार और जुड़ गए। इनमें 45 विकास खंड व 11 वाटरशेड मंडल शामिल रहे। प्रोजेक्ट की गतिविधियां
वाटरशेड प्रोजेक्ट का मकसद पंचायतों की सामाजिक व आर्थिक स्थिति को सुधारना, गरीबी उन्मूलन, भू-कटाव रोकना, वाटरशेड का उपचार, जल संग्रहण, सिंचाई के साधन मुहैया करवाकर लोगों की आय में वृद्धि करना, फसल विविधता व पशुधन को बढ़ावा देना है। क्या है वाटरशेड
वाटरशेट ऐसी तकनीक है जिससे बारिश के पानी को कई तरीके से रोका जाता है। छोटे बांधों का निर्माण करवाया जाता है। इससे भूमि में नमी रहती है। सूखे इलाकों में भी हरियाली आती है। इस प्रोजेक्ट को आय सृजन से भी जोड़ा जाता है। बैठक के आए सार्थक नतीजे
अधिकारियों की टीम दिल्ली गई थी। वर्ल्ड बैंक के अधिकारियों के साथ बैठक के सार्थक नतीजे आए हैं। यह प्रोजेक्ट अब बंद नहीं होगा।
आलोक नागर, चीफ कन्जरवेटर ऑफ फॉरेस्ट, प्रोजेक्ट्स