केंद्र के खिलाफ गरजेंगी मिड डे मील वर्कर
संवाद सूत्र, ज्यूरी : मिड डे मील वर्कर यूनियन ब्लॉक इकाई सराहन की बैठक शुक्रवार को ब्ल
संवाद सूत्र, ज्यूरी : मिड डे मील वर्कर यूनियन ब्लॉक इकाई सराहन की बैठक शुक्रवार को ब्लॉक अध्यक्ष मीना की अध्यक्षता में ज्यूरी में हुई। इसमें 18 नवंबर को शिमला में आयोजित जिला सम्मेलन और 19 नवंबर को मिड डे मील की मागों को लेकर हो रही दिल्ली रैली पर चर्चा की गई। बैठक में 2009 से मिड डे मील वर्कर्स के मानदेय में बढ़ोतरी न करने पर केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया। यूनियन की अध्यक्ष मीना व सीटू क्षेत्रीय कमेटी सचिव कुलदीप ने कहा कि वर्तमान और पूर्व केंद्र सरकार ने वर्कर्स के मानेदय में 2009 से एक रुपये की भी बढ़ोतरी नहीं ही है, जिसका विरोध 5 सितबंर की रैली में किया गया था। 2012 में हुए 45वें श्रम सम्मेलन में माना था कि मिड डे मील वर्कर्स को मजदूरों की श्रेणी में लाया जाएगा, न्यूनतम वेतन लागू किया जाएगा, सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जाएगी, मेडिकल की सुविधा दी जाएगी, लेकिन आज दिन तक ऐसा कोई लाभ इन्हे नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार अच्छे दिन का वादा लेकर सत्ता में आई थी, मगर केंद्र सरकार मिड डे मील वर्कर्स के बजट में लगातार कटौती कर योजना को ही समाप्त कर रही है।
इकाई सचिव संगीता ने कहा प्रदेश सरकार के द्वारा मिड डे मील को माह में मात्र 300 रुपये की बढ़ोतरी की है जो बहुत कम है प्रदेश सरकार ने मिड डे मील मजदूरों के साथ छलावा किया है, क्योंकि जिस तेजी के साथ महंगाई बढ़ रही है ऐसी स्थिति में मात्र 1800 रुपए महीने में गुजारा नहीं किया जा सकता है। मिड डे मील ब्लॉक इकाई केंद्र सरकार से अपनी मागों को लेकर 19 नवंबर को मिड डे मील वर्कर की दिल्ली में संसद के बाहर हो रही विशाल रैली में जाकर अपनी मागों और केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष करेंगे। इस मौके पपर रीना, कमला, पूनम, गीता, सुमन, रीता, प्रोमिल आदि उपस्थित रहे।
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ये हैं मांगें
मिड डे मील वर्कर की मुख्य मागों में को न्यूनतम 6750 रुपये वेतन प्रतिमाह।
-10 माह की बजाय हरियाणा के तर्ज पर 12 माह का वेतन दिया जाए।
-जहां एक वर्कर है उसके साथ हेल्पर की व्यवस्था की जाए।
-छुट्टियों का प्रावधान किया जाए।
-पेंशन व ग्रेच्यूटी की सुविधा दी जाए।
-25 बच्चों की शर्त को हटाया।