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रेजीडेंट डॉक्टर व पीजी पॉलिसी लागू

प्रदेश सरकार ने डाक्टरों के लिए रेजीडेंट डॉक्टर पॉलीसी और पीजी व सुपर स्पेयालिटी पॉलीसी को लागू कर दिया है। इस संबंध में प्रदेश स्वास्थ्य विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Jul 2019 07:50 PM (IST)Updated: Mon, 22 Jul 2019 06:35 AM (IST)
रेजीडेंट डॉक्टर व पीजी पॉलिसी लागू
रेजीडेंट डॉक्टर व पीजी पॉलिसी लागू

राज्य ब्यूरो, शिमला : प्रदेश सरकार ने डॉक्टरों के लिए रेजीडेंट डॉक्टर और पीजी व सुपर स्पेशयेलिटी पॉलिसी लागू कर दी है। प्रदेश स्वास्थ्य विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है। इस पॉलिसी लागू होने के साथ अब प्रदेश में इसी आधार पर सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर, ट्यूटर स्पेशलिस्ट और पीजी की नियुक्ति की जाएगी। रेजीडेंट डॉक्टर के लिए तीन वर्ष का सेवाकाल निर्धारित किया है, जिसमें हर वर्ष के कार्यो का आकलन विभागाध्यक्ष प्रिसिपल को देंगे। किसी के लिए रिपीट टेन्योर नहीं होगा। अब प्रदेश में साल में तीन बार भर्ती प्रक्रिया होगी। इसके लिए शेड्यूल निर्धारित कर दिया है कि आखिर रिक्तियां कब आएंगी, कब आवेदन होंगे और कब साक्षात्कार लिए जाएंगे।

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कॉलेजों के प्रिसिपलों द्वारा प्रथम राउंड के लिए नवंबर के अंत में, द्वितीय राउंड के लिए मार्च के अंत और तृतीय राउंड के लिए जुलाई के अंत में रिक्तियों डीएमई को भेजी जाएंगी। रिक्तियों के लिए विज्ञापन दिसंबर, अप्रैल और अगस्त के दूसरे सप्ताह में जारी किए जाएंगे। दस्तावेजों की जांच के लिए व्यक्तिगत आधार पर जनवरी, मई और सितंबर के प्रथम पखवाड़े में उपस्थित होना होगा। अधिकतम आयुसीमा 45 वर्ष निर्धारित की गई है। सरकारी सेवारत के लिए अधिकतम आयुसीमा लागू नहीं होगी।

इस पॉलिसी में पद से हटाने और त्यागपत्र देने के संबंध में भी सभी नियमों को निर्धारित किया गया है। आवेदनकर्ता को निदेशक चिकित्सा शिक्षा को आवेदन करना होगा। मेरिट के लिए अंक भी निर्धारित कर दिए हैं। इसमें एमबीबीएस के अंकों के आधार पर कुल तीस अंक, पीजी डिग्री के अंकों के लिए 40 और हर शोध कार्य और पत्र के प्रकाशन के लिए कुल बीस अंक दिए जाएंगे। दो अंक प्रति शोध प्रकाशन के लिए रखे हैं। दस अंक नॉन टीचिंग संस्थान में सेवाएं प्रदान करने पर दिए जाएंगे।

बेहतर कार्य न करने पर सरकार ही हटा सकेगी

नई नीति के तहत रेजीडेंट डॉक्टर और पीजी के बेहतर कार्य न करने पर संबंधित विभाग के विभागाध्यक्ष प्रिसिपल को अपनी रिपोर्ट देंगे। प्रिसिपल दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को देंगे और अंतिम निर्णय सरकार ही लेगी। एक से दूसरे संस्थान में जाने के लिए पहले त्यागपत्र देना होगा। जूनियर रेजीडेंट के लिए एमबीबीएस रखी गई है। जूनियर रेजीडेंट एक वर्ष के लिए नियुक्त किए जाएंगे। केजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर और ब्लड बैंक मेडिकल ऑफिसर अलग से भरे जाएंगे।


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