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हिमाचली कोटे की एमबीबीएस सीटों पर फैसला 23 को

विधि संवाददाता, शिमला : एमबीबीएस में दाखिले को लेकर बाहरी बनाम हिमाचली विवाद को लेकर दाय

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Jul 2018 10:06 PM (IST)Updated: Tue, 17 Jul 2018 10:06 PM (IST)
हिमाचली कोटे की एमबीबीएस सीटों पर फैसला 23 को
हिमाचली कोटे की एमबीबीएस सीटों पर फैसला 23 को

विधि संवाददाता, शिमला :

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एमबीबीएस में दाखिले को लेकर बाहरी बनाम हिमाचली विवाद को लेकर दायर याचिकाओं पर हाईकोर्ट में सुनवाई 23 जुलाई तक के लिए टल गई है। बाहरी राज्यों के बच्चों की याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई बैंच के आदेशानुसार तीसरे जज के सामने हुई। न्यायाधीश संदीप शर्मा के समक्ष हुई सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि इस मामले में नौ प्रार्थियों की याचिकाओं के लंबित होने के कारण नौ सीटें खाली रखी हैं। इन सीटों को हाईकोर्ट के अंतिम निर्णय के आधार पर भरा जाएगा।

प्रार्थियों की ओर से बताया गया कि न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर द्वारा दिए निर्णय के तहत काउंसिलिंग में भाग लेने वाले छात्रों को दाखिले के लिए कंसीडर करने को कहा है। कोर्ट ने मामले पर सुनवाई 23 जुलाई के लिए निर्धारित करने के आदेश दिए। इससे पहले न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी व न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर की खंडपीठ ने उक्त दाखिले के लिए उन छात्रों को पात्र ठहराया है जिनके अभिभावक अन्य राज्य सरकारों, केंद्र सरकार अथवा सरकारी उपक्रमों के अधीन सरकारी नौकरी में हैं या कभी रहे थे जिस कारण वे प्रदेश के किसी स्कूल से जरूरी दो कक्षाएं पास नहीं कर सके।

सरकार ने अन्य राज्यों से पढ़ाई करने वाले हिमाचली छात्रों को दो श्रेणियों में बाटा है। पहली श्रेणी में वे छात्र हैं जिनके अभिभावक अन्य राज्यों अथवा केंद्र सरकार सहित सरकारी उपक्रमों के अधीन नौकरी में हैं या कभी रहे थे। दूसरी श्रेणी में वो छात्र हैं जिनके अभिभावक निजी क्षेत्र में कार्यरत हैं या कभी रहे थे। सरकार ने मौजूदा सत्र में पहली श्रेणी के छात्रों को इस शर्त से छूट दी, परंतु दूसरी श्रेणी के छात्रों को इस छूट का कोई लाभ नहीं दिया गया। दूसरी श्रेणी के कुछ छात्रों ने इस छूट का लाभ मागते हुए कहा है कि उनके साथ सरकार भेदभाव कर रही है। दूसरी श्रेणी के साथ संविधान के तहत भेदभाव हो रहा है या नहीं इस मुद्दे पर खंडपीठ में सुनवाई कर रहे दोनों न्यायाधीशों में मतातर पाया गया। न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी ने अपने निर्णय में कहा है कि दूसरी श्रेणी को छूट का लाभ देना या न देना सरकार की नीतिगत निर्णय लेने की शक्तियों के तहत इसके विवेक पर निर्भर करता है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने अपने अलग निर्णय में कहा कि सरकार ने भेदभाव पूर्ण ढंग से दूसरी श्रेणी के छात्रों को उपरोक्त छूट देने से मना किया अत: यह असंवैधानिक है। खंडपीठ ने इस मुद्दे पर विरोधाभासी निर्णय होने के कारण इस मुद्दे पर फैसला तीसरे जज के निर्णय के लिए भेजने के आदेश दिए थे। मामले पर सुनवाई 23 जुलाई को होगी।


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