लोगों को नहीं भाया मशोबरा मेले का बदला स्वरूप
राजधानी शिमला के साथ लगते ग्रामीण क्षेत्र मशोबरा में सायर मेले का स्वरूप बदला हुआ था।
जागरण संवाददाता, शिमला : राजधानी शिमला के साथ लगते ग्रामीण क्षेत्र मशोबरा में सायर मेले का स्वरूप इस वर्ष कुछ और ही देखने को मिला। भैंसों की लड़ाई सायर मेले में इस बार नहीं हुई। हाईकोर्ट ने इस लड़ाई पर प्रतिबंध लगा दिया है। हालांकि गत वर्ष प्रतिबंध के बावजूद भैंसों की लड़ाई करवाई गई थी, जिस पर खूब विवाद हुआ था। वहीं, लोगों का उत्साह भी मेले के लिए कम रहा। मेले में दुकानें तो खूब सजी, लेकिन दुकानदारों को ग्राहक नहीं मिले। मेले में भीड़ कम रही, जो लोग आए भी वे मां काली के मंदिर में माथा टेकने के बाद चले गए। मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। भाषा एवं संस्कृति विभाग के सांस्कृतिक दल ने कार्यक्रम प्रस्तुत किए। स्थानीय कलाकारों ने पारंपरिक करियाला भी प्रस्तुत किया गया।
मशोबरा सायर मेले में बागवानी एवं कृषि विभाग ने प्रदर्शनी लगाई। प्रदर्शनी में लोगों ने कृषि उत्पाद प्रस्तुत किए। कृषि विभाग ने 15 किसानों के बेहतर उत्पादों का चयन किया और किसानों को सम्मानित किया, जबकि बागवानी विभाग में आठ बागवानों को सम्मानित किया गया।
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अखरोट खेलकर मनाई सायर
राजधानी शिमला में सायर उत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस अवर पर लोगों ने मंदिरों में जाकर माथा टेका और वर्षभर अच्छी फसल होने की कामना की। इसके अलावा मंगल गीत और द्वार पूजा शिमला जिला के ग्रामीण क्षेत्रों में की गई। लोगों ने अखरोट खेलकर सायर साजी मनाई। बहनों और पुरोहितों की ओर से रक्षा बंधन पर बांधे गए रक्षा सूत्र सायर पर्व पर खोल दिए। ग्रामीण क्षेत्रों में वरुण देवता की पूजा-अर्चना के बाद इन सूत्रों को खोला गया।
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नई दुल्हनें पिया के घर लौटीं
एक माह पूर्व भादो माह में पिता के घर गई नई नवेली दुल्हनें पिया के घर लौट आई हैं। सायर संक्रांति पर्व पर उनका घर पर स्वागत किया गया और मीठे पकवान बनाए गए।