मरीजों और गरीबों के मसीहा बने बॉबी, IGMC शिमला में पांच वर्ष से दे रहे हैं लंगर सेवा
आइजीएमसी शिमला और केएनएच में सैकड़ों मरीजों और तीमारदारों को सरदार सर्वजीत सिंह बॉबी पांच वर्षो से लंगर परोस रहे हैं इस राह में अन्य कई लोग भी सहयोग कर रहे हैं।
शिमला, जेएनएन। कांगड़ा स्थित टांडा अस्पताल में प्रशासन ने मरीजों को लंगर परोसने पर रोक लगा दी है, वहीं प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आइजीएमसी और के एनएच में एक संस्था पांच साल से जरूरतमंदों की भूख मिटा रही है। संस्था के साथ लोग लगातार जुड़ रहे हैं, जिससे इसका कारवां भी बढ़ता जा रहा है। अलमाइटी ब्लेसिंग संस्था मरीजों के साथ तीमारदारों के लिए पौष्टिक भोजन परोसकर पुण्य कमा रही है।
इस पहल में संस्था के संस्थापक
सरदार सर्वजीत सिंह बॉबी की राह में प्रशंसकों ने हाथ बढ़ाए और रोजाना लगने वाले लंगर में सहयोग किया। आइजीएमसी के साथ केएनएच में भी सैकड़ों मरीजों और तीमारदारों को रोजाना भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है। शहर के सभी निजी और सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी इसमें सहयोग देते हैं। करीब 25 हजार बच्चे रोजाना लंच बॉक्स में अतिरिक्त चपातियां लेकर आते हैं और लंगर में देते हैं। यही नहीं शहर के उपनगरों, गांवों के अलावा सुन्नी, तत्तापानी, करसोग और चौपाल से भी लोग चपातियां बनाकर भेजते हैं। दोनों अस्पतालों में सुबह, दोपहर और शाम को भोजन परोसा जाता है। इसमें दाल, चावल, चपाती, दलिया, खीर, रोटी और चाय-ब्रेड होता है।
एंबुलेंस सेवा भी प्रदान कर रहे संस्था ने कैंसर, डायलिसिस और थैलेसीमिया के मरीजों के लिए फ्री एंबुलेंस सेवा शुरू की है। सुबह आठ से शाम आठ बजे तक एंबुलेंस में मरीजों को अस्पताल पहुंचाया जाता है। इसके अलावा डेड बॉडी वैन भी जरूरतमंदों के लिए उपलब्ध रहती है। सर्वजीत के कार्य से प्रभावित होकर युवा पीढ़ी भी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हो रही है।
सरकार भी पूछे हमारी परेशानी
बॉबी का कहना है कि आइजीएमसी और केएनएच में लंगर सेवा शुरू किए पांच साल हो गए हैं।हालांकि शिमला सहित प्रदेश के अन्य इलाकों से भी उन्हें काफी सहयोग मिल रहा है, लेकिन सरकार ने उन्हें पेश आ रही परेशानियों के बारे में कभी नहीं पूछा।
राष्ट्रपति ने भी थपथपाई पीठ
सर्वजीत सिंह बॉबी के प्रयास आज शिमला में ही नहीं बल्कि पूरे देश में सराहे जा रहे हैं। तीन जनवरी को बाबी नई दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिले और समाज सेवाओं का प्रस्तुतीकरण राष्ट्रपति को दिया। राष्ट्रपति ने इसके लिए उन्हें शाबाशी दी है। छोटे काम से मिली इस उपलब्धि को बॉबी गुरु कृपा मानते हैं।
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