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इंटरपोल के जरिये जारी होंगे लुकआउट नोटिस

रमेश सिंगटा, शिमला हिमाचल से छह हजार करोड़ के कर-कर्ज महाघोटाले से जुड़े 'नीरव'

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Mar 2018 03:00 AM (IST)Updated: Mon, 19 Mar 2018 03:00 AM (IST)
इंटरपोल के जरिये जारी होंगे लुकआउट नोटिस
इंटरपोल के जरिये जारी होंगे लुकआउट नोटिस

रमेश सिंगटा, शिमला

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हिमाचल से छह हजार करोड़ के कर-कर्ज महाघोटाले से जुड़े 'नीरव' की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सीआइडी इंटरपोल के जरिये लुकआउट नोटिस जारी करने की तैयारी में हैं। सूत्रों के अनुसार जांच एजेंसी को शक है कि इंडियन टेक्नोमेक कंपनी का प्रबंध निदेशक राकेश शर्मा दुबई में है। कंपनी के सभी निदेशक भी विदेश भाग चुके हैं। अब इन सब पर कानूनी शिकंजा कस सकता है। उन पर विदेश में भी आपराधिक मामला चल सकता है। पहले वहां की जांच एजेंसी पूरे मामले की पड़ताल करेगी। उसके बाद विजय माल्या की तर्ज विदेश में ही मुकदमा चल सकता है। इसके लिए सीआइडी कानूनविदों से भी राय ले रही है।

कंपनी के कर्ताधर्ताओं का रसूख अब काम नहीं आएगा। पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में जांच एजेंसी इन पर हाथ डाल सकती थी, लेकिन सूत्रों के अुनसार तब सरकार के चंद अफसर ऐसा नहीं चाहते थे। यही वजह रही कि आरोपी हिमाचल सरकार को कर का करीब 2200 करोड़ रुपये का चूना लगा गए वहीं 16 बैंकों की करीब अढ़ाई हजार करोड़ से भी अधिक की धनराशि भी डकार कर विदेश भागने में कामयाब रहे। ब्याज समेत यह धनराशि छह हजार करोड़ से भी अधिक की है।

बिजली बिलों में भी फर्जीवाड़ा

कंपनी ने बिजली के बिलों में भी फर्जीवाड़ा किया। करोड़ों के बिजली बिल का भुगतान भी किया। इसमें बिल वाउचर ट्रांसफर करने में बोर्ड को साढ़े चार करोड़ का चूना लगाया। मामले की सीआइडी जांच लगभग पूरी हो गई है। इसमें कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी है। यह मामला रीयल टाइम ग्रोस सेटलमेंट यानी आरटीजीएस से जुड़ा है।

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यह बात सही है कि 16 बैंकों की कर्ज की मोटी रकम भी कंपनी ने डकारी। जमीन की खरीद में भी फर्जीवाड़ा किया। सीआइडी जांच सही दिशा में आगे बढ़ी है। इसे ईडी को सौंपा जाएगा या नहीं, इस बारे में राज्य सरकार ही बेहतर बता सकती है।

डॉ. विनोद धवन, डीआइजी, सीआइडी

कई एजेंसी को लिखा है। ईडी को भी जांच करने का आग्रह किया है। इससे पूर्व की औपचारिकताएं पूरी की जा रही है। यह सरकार के स्तर पर तय होगा कि किस जांच एजेंसी से जांच करवानी है। यह हजारों करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा है। आरोपियों पर कानूनी हाथ डालना जरूरी है।

गणेश ठाकुर, अतिरिक्त आबकारी एवं कराधान आयुक्त


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