भाजपा संगठन में जगह के लिए लाबिग
भाजपा के नए कप्तान का औपचारिक ऐलान शनिवार को किया जाना है। डा. राजीव बिदल औपचारिक घोषणा के बाद शनिवार को अपना पदभार संभालेंगे। हाईकमान ने उनका नाम तय कर दिया है। इसके बाद ही संगठन में अपने नजदीकी नेताओं या खुद का स्थान पक्का करने के लिए लाबिग शुरू कर दी है। राज्य में अपनी सरकार होने के कारण ओहदा काफी अहमियत रखता है
जागरण संवाददाता, शिमला : प्रदेश में भाजपा के नए कप्तान का औपचारिक ऐलान 18 जनवरी को होना है। डॉ. राजीव बिदल औपचारिक घोषणा के बाद शनिवार को भाजपा के नए प्रदेशाध्यक्ष का पदभार संभालेंगे। हाईकमान ने उनका नाम तय कर दिया है। इसके साथ ही भाजपा संगठन में अपने नजदीकी नेताओं या खुद का स्थान पक्का करने के लिए लॉबिग शुरू हो गई है।
राज्य में अपनी सरकार होने के कारण ओहदा काफी अहमियत रखता है। इसलिए सभी नेता अपने साथ नजदीकियों को स्थान दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। सरकार में ओहदेदारी के लिए नेता ऐडी चोटी का जोर लगा रहे हैं। प्रदेश में 2022 में होने वाला विधानसभा चुनाव भाजपा डॉ. बिदल की अध्यक्षता में लड़ेगी। पार्टी में तीन साल का कार्यकाल अध्यक्ष को दिया जाता है। विधानसभा चुनाव दिसंबर 2022 में होना है। ऐसे में सभी अपने नजदीकी नेताओं को संगठन में अहम पदों पर बिठाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। वहीं, बिंदल को क्षेत्रीय के साथ अन्य नेताओं के बीच समन्वय बिठाना चुनौती होगी। शांता, धूमल व जयराम के साथ बिठाना होगा तालमेल
भाजपा के नए प्रदेशाध्यक्ष को पार्टी के तीन बड़े नेताओं के साथ तालमेल बिठाना चुनौती होगी। उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार व प्रेम कुमार धूमल के अलावा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के बीच तालमेल बिठाना होगा। पार्टी हाईकमान ने भी तीनों नेताओं के बीच किसी तरह की गुटबाजी अध्यक्ष की तैनाती के बाद न हो, इसीलिए बीच का रास्ता निकालते हुए बिदल को कमान सौंपी है। बिदल इस मामले में कैसे सभी के बीच तालमेल बिठाते हैं, इस पर सभी की नजर रहेगी। नड्डा के नजदीकी नेताओं को मिल सकता है अहम स्थान
डॉ. राजीव बिदल की कार्यकारिणी में भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा के राज्य में नजदीक नेताओं को भी अहम स्थान मिल सकता है। हालांकि चर्चा यह भी है कि उनके कुछ नजदीकी नेता राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी शामिल हो सकते हैं। इसमें वे किसे चुनते हैं, यह समय बताएगा लेकिन नड्डा के नजदीकी नेताओं ने हिमाचल की बजाय दिल्ली में राजनीति करने के लिए कमर कस रखी है।