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शिकंजा कसते ही करोड़ों लौटाने लगे शराब ठेकेदार

सरकार में चु¨नदा शराब कंपनियों की ही शराब बिकती थी। पांच शराब कंपनियों की शराब प्रदेश के विभिन्न भागों में महंगे दामों पर बेची गई थी। हैरानी की बात ये है कि इसके लिए प्रदेश मंत्रिमंडल की मंजूरी भी नहीं ली गई। शराब के लिए बनाए गए निगम ने पर्ची पर कई ठेकेदारों की शराब गोदामों से उठाई। इतना ही नहीं कई चहेते ठेकेदारों को शराब उधार दी गई। शराब ठेकेदारों ने मनमाने दामों पर शराब बेची। शराब बेचने के लिए एमआरपी की जगह एमएसपी प्रणाली लागू की गई।

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Jan 2019 10:34 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 10:34 PM (IST)
शिकंजा कसते ही करोड़ों
लौटाने लगे शराब ठेकेदार
शिकंजा कसते ही करोड़ों लौटाने लगे शराब ठेकेदार

राज्य ब्यूरो, शिमला : पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए शराब घोटाले में फंसे 11 करोड़ रुपये में से दो करोड़ रुपये सरकार के खजाने में आ गए हैं। यह सफलता पुलिस व शराब घोटाले की जांच कर रही एजेंसियों के कारण मिली है। बीवरेज निगम में हुए घोटाले की जांच कर रही एजेंसियों ने शराब ठेकेदारों के साथ आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारियों सहित 40 लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की है।

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विजिलेंस ने बीवरेज निगम में घोटाले की जांच के लिए सरकार से मार्च तक का समय मांगा था। सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी है। घोटाले में सरकार के करोड़ों रुपये दबाने वाले शराब ठेकेदार बढ़ते दबाव के कारण पैसे लौटाने लगे हैं। प्रदेश में पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में आबकारी नीति में बदलाव के बाद हिमाचल बीवरेज निगम का गठन किया गया था। लेकिन चु¨नदा शराब कंपनियों की ही शराब बिकती थी। पांच कंपनियों की शराब प्रदेश के विभिन्न भागों में महंगे दामों पर बेची गई थी। इसके लिए प्रदेश मंत्रिमंडल की मंजूरी भी नहीं ली गई। बीवरेज निगम ने पर्ची पर कई ठेकेदारों की शराब गोदामों से उठाई। कई चहेते ठेकेदारों को शराब उधार दी गई। शराब ठेकेदारों ने मनमाने दामों पर शराब बेची। शराब बेचने के लिए एमआरपी की जगह एमएसपी प्रणाली लागू की गई। भाजपा ने सत्ता में आने के तुरंत बाद करोड़ों के शराब घोटाले की जांच शुरू की थी। इस मामले में पुलिस ने छह एफआइआर दर्ज की। एफआइआर दर्ज होने के बाद ठेकेदारों के पास फंसे करीब 11 करोड़ रुपये में से करीब दो करोड़ रुपये शराब ठेकेदारों ने सरकारी खजाने में जमा करवा दिए हैं। अब इस मामले की जांच विजिलेंस कर रही है।

शराब घोटाले में फंसी रकम ठेकेदारों ने लौटानी शुरू कर दी है। जांच को एक दिशा में ले जाने के लिए विजिलेंस व आबकारी एवं कराधान विभाग एक साथ काम करेंगे। शराब घोटाले को लेकर पुलिस के पास दर्ज एफआइआर में कई मामलों की जांच पूरी हो गई है।

संजय कुंडू, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव


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