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संस्कृति का संरक्षण, फैशन में भी अव्वल

फैशन कुछ समय बाद बदल जाता है और पुरानी चीजों को ही नए रूप में पेश किया जाता है।

By Edited By: Published: Thu, 01 Nov 2018 07:06 PM (IST)Updated: Fri, 02 Nov 2018 03:01 AM (IST)
संस्कृति का संरक्षण, फैशन में भी अव्वल
संस्कृति का संरक्षण, फैशन में भी अव्वल

जागरण संवाददाता, शिमला : फैशन कुछ समय बाद बदल जाता है और पुरानी चीजों को ही नए रूप में पेश किया जाता है। अगर पारंपरिक वेशभूषा को फैशन में लाया जाए तो पहनने वाले और देखने वाले को अलग अहसास होता है। ऐसा ही हिमाचली टोपी के साथ हो रहा है। आजकल युवाओं को ये खूब भा रही है। कुछ समय पहले जहां नेता और बुजुर्ग ही हिमाचली टोपी पहने नजर आते थे, अब शिमला के माल रोड पर अधिकतर युवा हिमाचल टोपी पहने घूमते हैं।

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हिमाचली टोपी पहनने का जमाना एक बार फिर लौट आया है। सर्दियों में युवा कोई नए डिजाइन की टोपी नहीं खरीदते बल्कि हिमाचली टोपी की खरीदारी कर रहे हैं। बड़े शोरूम तथा सड़क पर स्टॉल लगाने वालों के पास हर दूसरा व्यक्ति हिमाचली टोपी पसंद करते दिखाई दे रहा है। बाजार में कई डिजाइन व रंगों में टोपियां उपलब्ध हैं। हिमाचली टोपी की कीमत 100 से हजारों रुपये तक में है। हालांकि पहले कोई ऐसे पहनावे में देखा जाता था तो उसे पुरानी सोच का माना जाता था, लेकिन यही सोच एकाएक बदल कर फैशन में तबदील हो गई है। युवा जहां पहले कैप व ऊनी टोपी पहनना पसंद करते थे।

वहीं, अब नेहरू कोट के साथ पहाड़ी टोपी का मिलान कर एक नए फैशन को इजाद कर रहे हैं। शहर में युवा जींस के साथ नेहरू कोर्ट संग हिमाचली टोपी पहने घूमते नजर आ रहे हैं। युवाओं का कहना है कि नेहरू कोट उन्हें जहां ठंड से बचाएगा, वहीं कोट संग हिमाचली टोपी फैशनेबल बनाएगी। इनका कहना है कि हिमाचली टोपी प्रदेश की पहचान है, संस्कृति है। इसको अपनाना और फैशन में लाना संस्कृति का संरक्षण है।


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