अन्नदाता बनेगा प्रदेश का किसान
राज्य ब्यूरो, शिमला : प्रदेश सरकार ने भूमि की उपजाऊ क्षमता को समाप्त होने से बचाने के लिए जी
राज्य ब्यूरो, शिमला : प्रदेश सरकार ने भूमि की उपजाऊ क्षमता को समाप्त होने से बचाने के लिए जीरो बजट प्राकृतिक खेती से संजीवनी लाने की खुशहाल किसान योजना को मंजूरी दी है। मंगलवार को मंत्रिमंडल की बैठक में इस योजना को मंजूरी दी गई। बैठक में शून्य लागत प्राकृतिक कृषि के माध्यम से किसानों की खेतों से आय बढ़ाने तथा कृषि लागत कम करने के लिए प्रदेश में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के कार्यांवयन के दिशा-निर्देशों को मंजूरी दी गई। इस योजना के लिए 25 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इससे प्राकृतिक कृषि को नई दिशा मिलेगी तथा किसानों द्वारा खेतों में रासायनिक खादों के उपयोग में कमी आएगी। प्रदेश के विश्वविद्यालयों द्वारा इस योजना के कार्यान्वयन के लिए पैकेज ऑफ प्रेक्टिसिज तैयार करेंगे।
योजना में पशुपालन विभाग सहित कृषि और बागवानी विभाग के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। किसानों को भी जीरो बजट प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक और प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस कार्य में कृषि और बागवानी विश्वविद्यालय योजना की रूप रेखा तैयार करेगा, जिसमें यह बताया जाएगा कि किस क्षेत्र में जीरो बजट खेती को लेकर प्रशिक्षण दिया जाएगा।
इस योजना से किसानों की आय को दोगुना करने के साथ भूमि को नष्ट और बंजर होने से बचाने की दिशा काम किया जाएगा। जैविक व रसायनिक खेती प्राकृतिक संसाधनों के लिए खतरा बन गई है और इससे पीएच मान लगातार बढ़ रहा है। इनसे अधिक लागत पर जहरीला अनाज पैदा हो रहा है जो कैंसर जैसी बिमारियों के पैदा होने का कारण बन रहा है। जीरो बजट प्राकृतिक खेती जीव, जमीन, पानी और पर्यावरण को बचाने और बेहतर स्वास्थ्य के लिए एक मात्र उपाय है शून्य लागत प्राकृतिक खेती। जीरो बजट प्राकृतिक खेती के तहत एक देसी गाय से तीस एकड़ की खेती की जा सकती है। सूखे को मात देने में शून्य लागत प्राकृतिक खेती कारगर है। दरअसल इस विधि में अपेक्षाकृत मात्र दस फीसद पानी की जरूरत पड़ती है। कीट रोगों का भय एकदम समाप्त हो जाता है।जीरो बजट खेती में तीस एकड़ खेती करने के लिए पर सिर्फ एक गाय पालने की जरूरत है।