कोटखाई मामले की नए सिरे से होगी जांच
कोटखाई छात्रा प्रकरण शिमला के मदद सेवा ट्रस्ट के माध्यम से केंद्र तक पहुंच गया है लेकिन ट्रस्ट को सीबीआइ जांच पर भरोसा नहीं है इसलिए अब आरोपों की नए सिरे से जांच होगी।
शिमला, राज्य ब्यूरो। प्रदेश के जनमानस को हिला देने वाले बहुचर्चित कोटखाई छात्रा प्रकरण अब प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच गया है। शिमला के मदद सेवा ट्रस्ट के माध्यम से मामला केंद्र तक पहुंचा है। ट्रस्ट को सीबीआइ जांच पर भरोसा नहीं है। इस सिलसिले में एक अन्य पत्र का केंद्रीय कार्मिक विभाग ने कड़ा संज्ञान लिया है। विभाग के अवर सचिव एसपी आर त्रिपाठी ने सीबीआइ निदेशक को उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में अब आरोपों की नए सिरे से जांच होगी। यह पत्र नौ जुलाई को लिखा था।
असल में मदद सेवा ट्रस्ट के सहयोग से मासूम छात्रा की मौत पर 'गुड़िया-अनसुनी चीख' पुस्तक लिखी थी। इसकी प्रतिलिपि के साथ एक पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा गया था। उसमें सीबीआइ जांच पर सवाल खड़े किए गए थे। इसके बाद संस्था ने एक और पत्र लिखा। इसमें संदेह जताया गया कि छात्रा का इकलौता कातिल नहीं है। वारदात के कुछ दिन बाद ही तत्कालीन मुख्यमंत्री के ऑफिशियल पेज से कुछ संदिग्धों की तस्वीरें वायरल हुई थी। सीबीआइ जांच में इन चेहरों का कोई जिक्र नहीं आया।
मृतक सूरज की पत्नी का भी ब्रेन मैपिंग टेस्ट होना चाहिए था। जांच एजेंसी ने डीएनए मिलान के लिए खून की जांच के नमूनों को लेने में भी जल्दबाजी दिखाई। जेल में बंद है आरोपित छात्रा दुष्कर्म व हत्या केस में आरोपित चिरानी अनिल उर्फ नीलू न्यायिक हिरासत में है। उसे सीबीआइ ने पिछले साल गिरफ्तार किया था। इसी केस से जुड़े सूरज हत्या मामले में पूर्व आइजी, पूर्व एसपी सहित नौ आरोपित पुलिस अधिकारी व कर्मचारी भी जेल में हैं।
कोटखाई मामले के असल दोषी सलाखों के पीछे होने चाहिए। कई ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब सीबीआइ जांच से नहीं मिल पाया है। यह बात सही है कि कार्मिक विभाग ने हमारे पत्र पर सीबीआइ निदेशक को उचित कारवाई करने के निर्देश दिए हैं।
तनुजा थापटा, अध्यक्ष, मदद सेवा ट्रस्ट