देश के चार राज्यों में बांटे गए आलू के बीज के प्रयोग पर लगी रोक, यह है मुख्य वजह
हिमाचल प्रदेश के लाहुल स्पीति से ही आपूर्ति होने वाले करीब 160 करोड़ के बीज आलू के कारोबार को झटका लगा है।
शिमला, यादवेंद्र शर्मा। आलू में सूत्रकृमि यानि निमेटोड के पाए जाने के कारण हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, तमिलनाडु व जम्मू कश्मीर के बीज आलू की अन्य राज्यों व विदेशों में बिक्री पर रोक लगा दी है। इस प्रतिबंध को लगाए जाने के कारण केवल हिमाचल प्रदेश के लाहुल स्पीति से ही आपूर्ति होने वाले करीब 160 करोड़ के बीज आलू के कारोबार को झटका लगा है। अभी लाहुल से अन्य राज्यों व विदेशों को बीज आलू की आपूर्ति करने के लिए हजारों क्विंटल आलू कुल्लू के शीत भंडारण गोदामों में पड़ा है।
निमेटोड का खाने के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाले आलू से स्वास्थ्य पर कोई उल्टा असर नहीं होता है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने बिक्री पर प्रतिबंध की अधिसूचना जारी की है। प्रदेश सरकार और कृषि विभाग को यह पता ही नहीं है कि आलू की जांच को कब सैंपल लिए और कहां-कहां से लिए गए। सरकार द्वारा अपने स्तर पर जुटाए गए तथ्यों के आधार पर यह सैंपल शिमला, कुल्लू और चंबा से लिए गए हैं।
निमेटोड या सूत्रकृमि आगे से आगे फैलता है और जड़ों को नुकसान पहुंचाता है। केवल आलू ही नहीं अन्य फसलों को भी यह चौपट करता है। प्रदेश में कृषि विभाग के 16 आलू के फार्म हैं जहां पर आलू बीज तैयार किया जा रहा है।
बीज आलू की आपूर्ति पाकिस्तान व बांग्लादेश को
हिमाचल के लाहुल के बीज आलू की आपूर्ति पड़ोसी राज्य पाकिस्तान के साथ बांग्लादेश को भी की जाती है। पश्चिम बंगाल, गुजरात, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, तामिलनाडू सहित उत्तर पूर्व के राज्यों को बीज आलू बेचा जा रहा है।
नीमेटोड के तोड़ को नहीं कोई किस्म
हिमाचल प्रदेश में आलू की चारा किस्में कुफरी ज्योति, कुफरी चंद्रमुखी, हिमालीनी, कुफरी गिरधारी लगाई जा रही है। इन सभी पर निमेटोड का प्रकोप होता है और कोई भी ऐसी किस्म हिमाचल के लिए तैयार नहीं की गई है जिसपर निमेटोड का प्रकोप न हो।
जानें, क्या है निमेटोड
निमेटोड यानि सूत्रकृमि को सबसे पहले जोन्स ने 1961 में तमिलनाडू की नीलगिरी पहाडिय़ों से खोजा था। इसकी पुट्टी सुनहरी पीले रंग की होती है, जिसमें लगभग 200-350 अंडे पाये जाते हैं। यह मुख्यता ठंडी जलवायु में पाया जाता है। यह अपना जीवन चक्र 5-7 सप्ताह में पूर्ण कर लेता है। यह आलू की फसल की गुणवता व मात्रा दोनों को हानि पहुंचाता है। इसके उपचार के लिए फसल चक्र, जमीन का उपचार और उपचारित बीज का इस्तेमाल जरुरी है। यह विश्व में यूरोप, दक्षिणी अमेरिका, उत्तरी अमेरिका, भारत, रूस व दक्षिणी अफ्रीका में पाया जाता है।
हिमाचल प्रदेश के कृषि मंत्री रामलाल मार्कंडेय ने बताया कि कृषि निदेशक देसराज शर्मा की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। शुक्रवार सायं 4 बजे नियुक्त कमेटी सहित केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान के अधिकारियों के साथ चर्चा हुई है। आलू बीज की बिक्री पर लगाई गई रोक को लेकर हल निकाला जा रहा है। इसके लिए केंद्र से मामला उठाया जाएगा और आवश्यकता हुई दोबारा सैंपल लेकर जांच करवाई जाएगी।