Himachal News: सरकारी वन भूमि पर होगी खैर के पेड़ों की कटाई, सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार को दी अनुमति
Himachal Khair Trees सर्वोच्च न्यायालय ने सरकारी वन भूमि पर खैर के पेड़ों के कटान की अनुमति दे दी है। ऊना हमीरपुर बिलासपुर नालागढ़ और कुटलैहड़ वन मंडलों में प्रति वर्ष 16500 वृक्षों का कटान निर्धारित किया गया है।
शिमला, राज्य ब्यूरो। सर्वोच्च न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश के वन विभाग के दस वन मंडलों की सरकारी वन भूमि पर खैर के पेड़ों के कटान की अनुमति प्रदान की है। ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, नालागढ़ और कुटलैहड़ वन मंडलों में खैर के पेड़ों की कटान के लिए कार्य योजना तैयार की गई है और इन वन मंडलों में प्रति वर्ष 16500 वृक्षों का कटान निर्धारित किया गया है। ये बात मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला में कही।
उन्होंने बताया कि खैर का कटान शीघ्र ही शुरू कर दिया जाएगा और इससे प्रदेश को करोड़ों की आय होगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष इस मामले की पुरजोर वकालत की और इसके फलस्वरूप वन विभाग के पक्ष में निर्णय आया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नाहन, पांवटा साहिब, धर्मशाला, नूरपुर और देहरा पांच वन मंडलों के लिए कार्य योजना तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा कि वन अधिकारी इन पांचों वन मंडलों के लिए कार्य योजना तैयार करने के लिए वनों का निरीक्षण करने और खैर के पेड़ों की गिनती की प्रक्रिया शुरू करेंगे। खैर के पेड़ों की सिल्वीकल्चर कटाई वन प्रबंधन एवं इनके कायाकल्प के अलावा सरकार के राजस्व सृजन में सहायक सिद्ध होगी।
खैरों के पेड़ कटान से होगा बेहतर वन प्रबंधन
खैरों के पेड़ों का समय से कटान नहीं होने के कारण अधिकांश पेड़ सड़ रहे हैं और यह बेहतर वन प्रबंधन की दिशा में एक बड़ी बाधा है। सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2018 में प्रायोगिक के आधार पर खैर के पेड़ों की कटाई के परिणाम जानने के लिए इसमें पेड़ों की कटाई की अनुमति प्रदान की थी। अब शीर्ष अदालत ने वन विभाग की राय एवं केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति द्वारा शीर्ष अदालत में प्रस्तुत निष्कर्षों को ध्यान में रखते हुए खैर के पेड़ों की कटाई की अनुमति प्रदान की है।