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सजायाफ्ता कैदियों के साथ बैरक में रहेंगे कटवाल

हिमाचल प्रदेश अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड (अब कर्मचारी चयन आयोग) हमीरपुर के पूर्व चेयरमैन एसएम कटवाल कंडा जले में सजायाफ्ता कैदियों के साथ रहेंगे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 07:45 PM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 07:45 PM (IST)
सजायाफ्ता कैदियों के साथ बैरक में रहेंगे कटवाल
सजायाफ्ता कैदियों के साथ बैरक में रहेंगे कटवाल

राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल प्रदेश अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड (अब कर्मचारी चयन आयोग) हमीरपुर में करीब 16 साल पहले हुए भर्ती घोटाले में गिरफ्तार पूर्व चेयरमैन एसएम कटवाल को सजा काटने के लिए आदर्श जेल कंडा लाया गया। कटवाल को जेल में वीआइपी ट्रीटमेंट नहीं मिलेगी। उन्हें संगीन जुर्मो में सजायाफ्ता व विचाराधीन कैदियों के साथ जेल की बैरक में रहना होगा।

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ऊना जिला की पुलिस व विजिलेंस टीम बुधवार को पूर्व आइएएस अधिकारी कटवाल को लेकर शिमला के साथ लगते ग्रामीण क्षेत्र में स्थित आदर्श जेल कंडा पहुंची। सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उन्हें बैरक में डाल दिया गया। पुलिस कटवाल को जेल प्रशासन के हवाले कर वापस लौट गई। कोटखाई में छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या के आरोपित सूरज की पुलिस हिरासत में मौत मामले में आरोपित निलंबित आइजी जहूर हैदर जैदी व डीएसपी मनोज जोशी सहित आठ पुलिस अधिकारी व कर्मचारी भी कंडा जेल में बंद हैं। इन आरोपितों को वीआइपी सुविधाएं प्रदान की गई हैं। लेकिन कटवाल को इनके साथ नहीं रखा जाएगा। उन्हें अकेले रहने के लिए वीआइपी सेल नहीं मिलेगा। कटवाल ने दी सूची, विशेष खाना मांगा

अस्सी वर्षीय कटवाल ने आदर्श जेल कंडा पहुंचते ही जेल प्रशासन को एक सूची दी। कटवाल ने कहा कि उनकी उम्र को देखते हुए सूची में शामिल विशेष खाना ही उन्हें दिया जाए। हालांकि जेल प्रशासन ने उन्हें सूची में शामिल खाना देने से इन्कार कर दिया। प्रशासन ने कहा कि कटवाल को भी अन्य कैदियों को मिलने वाला खाना दिया जाएगा। दो साल से भूमिगत थे कटवाल

भर्ती घोटाले में सजा होने के बाद कटवाल दो साल से भूमिगत थे। अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित किया था। अदालत से बार-बार मोहलत मिलने के बाद भी वह आत्मसमर्पण नहीं कर रहे थे। विजिलेंस ने मंगलवार को कटवाल को ऊना में पकड़ा था। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने एक साल का जेल वारंट बनाकर उन्हें कंडा जेल भेजने का आदेश दिया था। कच्ची पेंसिल से देते थे अंक

कटवाल पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2001-02 में अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड का चेयरमैन रहते हुए भर्तियों के दौरान साक्षात्कार में अंक देने के मामले में पक्षपात किया। इस कारण योग्य अभ्यर्थी सरकारी नौकरी प्राप्त करने से वंचित रह गए। आरोप है कि कटवाल व एक सदस्य इंटरव्यू शीट पर कच्ची पेंसिल से अंक देते थे। बाद में अंकों में फेरबदल किया जाता था। नहीं मिली सुप्रीम कोर्ट से राहत

कटवाल ने हमीरपुर कोर्ट से भर्ती घोटाले में हुई सजा को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उन्हें निचली कोर्ट से तीन साल की सजा हुई थी। हाईकोर्ट ने इस सजा को घटाकर एक साल किया था। इसके बाद कटवाल ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी लेकिन वहां याचिका खारिज हो गई। इसके बाद कटवाल फरार हो गए थे। 2003-04 में दर्ज हुए थे दो केस

आठ अप्रैल 2003 को नॉन मेडिकल टीजीटी की भर्ती को लेकर धर्मशाला स्थित प्रवर्तन थाने में केस दर्ज हुआ था। इसमें कटवाल को नामजद किया गया था। इसके बाद 21 जनवरी 2004 को पीईटी की भर्तियों को लेकर भी केस दर्ज हुआ। इसमें कटवाल के अलावा बोर्ड के पूर्व सदस्य विद्यानाथ को भी आरोपित बनाया गया। बाद में विजिलेंस एंड एंटी क्रप्शन ब्यूरो गठित हुआ, तब केस ब्यूरो के पास आया था।


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