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अडानी समूह को करारा झटका, वापस नहीं मिलेंगे 280 करोड़ रुपये Shimla News

थोपन पावर प्रोजेक्ट के मामले में अडानी समूह को करारा झटका जयराम सरकार अडानी समूह की कंपनी को 280 करोड़ रुपये अपफ्रंट मनी वापस नहीं देगी।

By Babita kashyapEdited By: Published: Fri, 05 Jul 2019 10:08 AM (IST)Updated: Fri, 05 Jul 2019 10:08 AM (IST)
अडानी समूह को करारा झटका, वापस नहीं मिलेंगे 280 करोड़ रुपये  Shimla News
अडानी समूह को करारा झटका, वापस नहीं मिलेंगे 280 करोड़ रुपये Shimla News

शिमला, राज्य ब्यूरो। विवादों में रहे जंगी थोपन पावर प्रोजेक्ट के मामले में नामी अडानी समूह को सरकार ने करारा झटका दिया है। सूत्रों के अनुसार जयराम सरकार अडानी समूह की कंपनी को 280 करोड़ रुपये अपफ्रंट मनी वापस नहीं देगी। इस संबंध में बुधवार को हुई प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में कोई राहत नहीं दी गई। अडानी के खिलाफ कोर्ट केस लड़ने पर मंत्रियों में सहमति बनी। सरकार ने इस पैसे पर हक जताया है। इसके साथ ही ब्रेकल कंपनी के खिलाफ विजिलेंस जांच जारी रखने की बात कही गई है।

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बैठक में अडानी के दावे को पूरी तरह ठुकरा दिया गया। पूर्व कांग्रेस सरकार अडानी को बड़ी राहत देने की तैयारी में थी। लेकिन तत्कालीन ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा अड़ गए थे। हॉलैंड की कंपनी ब्रेकल पर हिमाचल की विजिलेंस एफआइआर दर्ज कर सकती है। 12 वर्ष पूर्व 2006 में किन्नौर में जंगी थोपन पोवारी पावर प्रोजेक्ट इस कंपनी को आवंटित किया गया था। आरोप है कि इसने अडानी के साथ साझेदारी की। यह विवाद सुप्रीमकोर्ट तक पहुंचा। रिलायंस कंपनी भी इस प्रोजेक्ट को लेने की इच्छुक थी। प्रदेश में भाजपा सरकार ने विदेशी कंपनी के खिलाफ जांच बैठाने का फैसला लिया। इस संबंध में तय हुआ कि विजिलेंस जांच करेगी। सरकार से केस दर्ज करने की अनुमति भी मिल गई है। अब जल्द ही प्राथमिकी दर्ज होगी।

किसे आवंटित किया प्रोजेक्ट 

जंगी थोपन पावर प्रोजेक्ट 960 मेगावाट की जगह 780 मेगावाट का होगा। इसे भाजपा सरकार ने सतलुज जल विद्युत निगम को आवंटित किया है। वर्ष 2006 में इस परियोजना को तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार ने ब्रेकल कंपनी को देने का फैसला लिया था। ब्रेकल निर्धारित अवधि के तहत अपफ्रंट मनी जमा नहीं करवा पाई थी। बोली में दूसरे स्थान पर उद्योगपति मुकेश अंबानी की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने इस पर एतराज जता दिया। इसलिए इसे रिलायंस को आवंटित किया जाए। मामला हाईकोर्ट में भी गया। आखिर में ब्रेकल ने 280 करोड़ रुपये अपफ्रंट मनी जमा करवा दी। इसके बाद अडानी समूह की कंपनी ने भी दावा किया कि यह 280 करोड़ रुपये उसने जमा करवाए थे।

हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती प्रदेश हाईकोर्ट ने रिलायंस की याचिका का निपटारा करते हुए सात अक्टूबर 2009 को इस परियोजना के ब्रेकल को किए आवंटन को रद कर दिया था। तत्कालीन धूमल सरकार ने इस परियोजना को रिलायंस को आवंटित करने की बजाय दोबारा बोली लगाई। इस पर ब्रेकल व रिलायंस दोनों ने प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी।


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