शिमलाः युग को इंसाफ, तीन हत्यारों को होगी फांसी
राजधानी शिमला में चार साल पहले चार वर्षीय युग की अपहरण के बाद निर्मम हत्या के मामले में दोषी तीन युवकों को बुधवार को जिला एवं सत्र न्यायालय में फांसी की सजा सुनाई है।
जागरण संवाददाता, शिमला। आखिरकार चार साल बाद मासूम युग को इंसाफ मिला। राजधानी शिमला में चार साल पहले चार वर्षीय युग की अपहरण के बाद निर्मम हत्या के मामले में दोषी तीन युवकों को बुधवार को जिला एवं सत्र न्यायालय में फांसी की सजा सुनाई है। जिला एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीश विरेंद्र सिंह ने मामले को विरलतम से विरलतम (रेयरेस्ट ऑफ रेयर) की श्रेणी में रखते हुए सजा का ऐलान किया। यह चौथा मामला है जब प्रदेश में किसी अपराधी को मौत की सजा सुनाई गई। हालांकि अभी तक किसी अपराधी को यहां फांसी नहीं दी गई है।
न्यायाधीश विरेंद्र सिंह ने पौने बारह बजे तक अन्य मामलों की सुनवाई की। इसके बाद वह चैंबर में चले गए। सभी ने यही सोचा कि लंच के बाद ही फैसला होगा। लेकिन लंच टाइम के दौरान ही पौने दो बजे न्यायाधीश दोबारा आए। उस समय सुरक्षा कर्मी व अधिकांश वकील अदालत में नहीं थे। न्यायाधीश ने जैसे ही दोषियों को अदालत में बुलाया तो सुरक्षाकर्मी दौड़कर वहां आए।
दोपहर एक बजकर 58 मिनट पर तीनों दोषियों को कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत में लाया गया। फैसला सुनाने के दौरान अदालत के भीतर तीनों दोषी, चुनिंदा वकील और युग के माता-पिता मौजूद थे। सबसे पहले मुख्य आरोपित चंद्र शर्मा को फांसी की सजा सुनाई गई। इसके बाद तेजेंद्र और अंत में विक्रांत वख्शी को सजा सुनाते हुए पेन तोड़कर न्यायाधीश वापस चैंबर में चले गए। इस ऐतिहासिक फैसले का अदालत के भीतर मौजूद युग के परिजनों व अन्य लोगों ने तालियां बजाकर स्वागत किया।
फैसले पर थी सबकी नजर
कोर्ट के निर्णय का युग के माता-पिता, परिजनों व अन्य लोगों को बेसब्री से इंतजार था। पूरे प्रदेश के लोगों की नजर इस फैसले पर थी। युग के माता-पिता व परिजन बुधवार सुबह साढ़े दस बजे जिला अदालत पहुंच गए थे। अदालत में सुबह से लोगों का जमावड़ा लगा था। अदालत परिसर के अंदर व बाहर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे।
पीले पड़े दोषियों के चेहरे
फैसले के बाद जब पुलिस कड़े सुरक्षा घेरे में दोषियों को कोर्ट रूम से बाहर लाई तो उनके चेहरे पीले पड़े हुए थे।
थैंक्यू, अदालत ने हमारो दर्द समझा
अदालत के निर्णय से संतुष्ट हूं। हत्यारों ने जो गुनाह किया है, उससे वे फांसी की सजा के ही हकदार हैं। अदालत ने हमारा दर्द समझा है। अदालत को थैंक्यू। विनोद गुप्ता, युग के पिता।
16 महीने से अधिक चला ट्रायल
अदालत ने छह अगस्त को तीनों आरोपितों को हत्या, अपहरण, बंधक बनाने, हत्या का षड्यंत्र रचने और सुबूत मिटाने का दोषी ठहराया था। अदालत ने 13 अगस्त व 21 अगस्त को हुई सुनवाई के दौरान दोषियों के माता-पिता को तलब किया था। न्यायाधीश के समक्ष बयान में परिजनों ने बीमारी का हवाला देकर दोषियों की सजा कम करने की गुहार लगाई थी। मामले में 16 महीने से अधिक समय तक अदालत में ट्रायल चला और 105 गवाह पेश हुए।
जानें, क्या था मामला
शिमला निवासी एवं रामबाजार में दुकान चलाने वाले विनोद गुप्ता के चार वर्षीय बेटे युग गुप्ता का 14 जून 2014 को बाजार से अपहरण हुआ था। चंद्र शर्मा ने युग को गोदाम में बंद किया। उसके बाद तेजेंद्र सिंह व विक्रांत बख्शी को साथ लेकर युग को रामचंद्रा चौक के समीप किराये के मकान में रखा गया। नशे में धुत दोषियों ने उसे एक सप्ताह यातनाएं दीं। इसके बाद उसे पेटी में बंद कर भराड़ी के नजदीक नगर निगम के पानी के स्टोरेज टैंक में जिंदा फेंक दिया था।
जानें, कब क्या हुआ
14 जून 2014 : युग का अपहरण, परिजनों ने सदर थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई। बाद में पुलिस के असफल रहने पर मामला सीआइडी क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर।
20 अगस्त 2016 : सीआइडी ने विक्रांत को गिरफ्तार किया जिसने सच उगल दिया।
22 अगस्त : विक्रांत की निशानदेही पर भराड़ी टैंक से युग का कंकाल बरामद। इसी दिन चंद्र शर्मा व तेजेंद्र गिरफ्तार।
25 अक्टूबर : आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट पेश।
20 फरवरी, 2017 : जिला एवं सत्र न्यायालय में ट्रायल शुरू।
28 मार्च : युग मामले में पहला ट्रायल नौ दिन चला।
27 फरवरी, 2018 : प्रॉसिक्यूशन विटनेस पूरी।
5 मार्च : आरोपितों के बयान रिकॉर्ड।
27 अप्रैल : आरोपितों को डिफेंस एविडेंस का मौका दिया।
8 मई : आरोपितों ने डिफेंस में एविडेंस पेश करने से मना किया। कोर्ट ने बहस की तारीख तय की।
6 अगस्त : आरोपितों को दोषी करार दिया गया।