पहले जांच करवाई, अब राहत देने की तैयारी
पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बस अड्डों के निर्माण में अनियमितताएं बरती गईं। मौजूदा सरकार के माध्यम से गठित फैक्ट फाइंडिग कमेटी की जांच में यह बात साबित भी हुई है। सूत्रों के अनुसार अब सरकार ने इस मामले में यू टर्न ले लिया है। इस जांच रिपोर्ट के आधार पर मामला विजिलेंस के पास नहीं भेजा जाएगा। पूर्व सरकार की चहेती फर्म को ही राहत देने की तैयारी चल रही है। इसका अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि सरकार ने आरोपों और जांच रिपोर्ट पर विधि विभाग की बजाय निजी एजेंसी से कानूनी राय (लिगल ओपीनियन) ली है। इससे कई तरह से सवाल खड़े हो रहे हैं।
रमेश सिगटा, शिमला
पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बस अड्डों के निर्माण में अनियमितताएं बरती गईं। प्रदेश भाजपा सरकार द्वारा गठित फेक्ट फाइंडिग कमेटी की जांच में यह बात साबित भी हुई है। सूत्रों के अनुसार अब सरकार ने इस मामले में यू टर्न ले लिया है। इस जांच रिपोर्ट के आधार पर मामला विजिलेंस के पास नहीं भेजा जाएगा। पूर्व सरकार की चहेती फर्म को ही राहत देने की तैयारी चल रही है। इसका अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि सरकार ने आरोपों और जांच रिपोर्ट पर विधि विभाग की बजाय निजी एजेंसी से कानूनी राय ली है। इससे कई तरह से सवाल खड़े हो रहे हैं।
निजी एजेंसी की कानूनी सेवाओं पर क्यों पैसा खर्च किया गया, जबकि राज्य में अलग विधि विभाग है। या तो अपने ही महकमे पर सरकार को भरोसा नहीं है या फिर फर्म को लाभ पहुंचाना चाहती है। सूत्रों ने बताया कि इस एजेंसी ने अपनी राय दे दी है। इसमें कहा गया है कि धर्मशाला बस अड्डा का टेंडर एग्रीमेंट रद करो और चितपूर्णी बस अड्डे में टेंडर एग्रीमेंट की शर्तों के विपरीत ली गई पार्किंग फीस को वापस किया जाए। संबंधित फर्म को नोटिस देने की बात कही है लेकिन एचआरटीसी प्रबंधन इस राय से इत्तेफाक नहीं रखता है। वहीं, परिवहन मंत्री गोविद ठाकुर ने इस मामले में पक्ष देने से इन्कार कर दिया। हालांकि मंत्री के निर्देश पर ही फैक्ट फाइंडिग कमेटी गठित की गई थी।
---------- क्या हैं अनियमितताएं
चिंतपूर्णी में कार पार्किंग, कमर्शियल कांप्लेक्स बनाने के लिए बस अड्डा प्रबंधन विकास प्राधिकरण ने टेंडर आमंत्रित किए थे। बस अड्डा बनाने का कोई प्रावधान नहीं था। ठेकेदार ने बिना अनुमति के बस अड्डे का भी निर्माण किया। टेंडर एग्रीमेंट से ही प्रस्तावित जगह पर आने वाली एचआरटीसी, निजी बसों, अन्य वाहनों से भी पार्किंग शुल्क लिया गया। इससे एग्रीमेंट का उल्लंघन हुआ। इससे ठेकेदार को करोड़ों का लाभ पहुंचा। जांच रिपोर्ट के मुताबिक निर्माण की गुणवत्ता जांचने के लिए स्वतंत्र इंजीनियर भी नियुक्त नहीं हुआ।
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धर्मशाला का कैसे किया एग्रीमेंट
जिस जगह बस अड्डा बनना था, वहां की जमीन वन विभाग के नाम थी। लेकिन बस अड्डा प्रबंधन विकास प्राधिकरण ने इसका भी फर्म के साथ नियमों के विपरीत एग्रीमेंट किया। जांच कमेटी ने इस एग्रीमेंट पर भी सवाल उठाए हैं। ऊना में निर्माण कार्य में डेविएशन की गई। कुल्लू में भी ऐसा ही हुआ। मनाली में जमीनी विवाद के कारण बस अड्डे का निर्माण नहीं हुआ।
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किसने की जांच
बस अड्डों के निर्माण में अनियमितताएं बरतने के आरोपों की जांच के लिए मुख्य महाप्रबंधक की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई। इसमें निर्माण कार्यों में कायदे-कानूनों की अनदेखी करने के तथ्य सामने आए। जांच की आंच निगम के पूर्व अफसरों तक आई। भाजपा ने अपनी चार्जशीट में भी कई गंभीर आरोप लगाए थे लेकिन सत्ता में आने के बाद जांच रिपोर्ट पर पर्दा डालने की बातें हो रही हैं।
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