नौकरी के साथ की पढ़ाई, बेटियां बन गई एचएएस अधिकारी
शिमला से एचएएस अधिकारी बनने वाली बेटियों ने नौकरी के साथ एचएएस परीक्षा की तैयारी की और सफल रही हैं। शिमला निवासी ये दो बेटिया एसएएस की परीक्षा में तीसरे व चौथे स्थान पर रही।
शिमला, राज्य ब्यूरो। लक्ष्य हासिल करने की जिद और कड़ी मेहनत कर शिमला जिला निवासी दो बेटिया एसएएस की परीक्षा में तीसरे व चौथे स्थान पर रही हैं। एचएएस की तैयारी के लिए उन्होंने ऐसे लोगों को बातों का झुठला दिया जो कहते थे कि बंद कमरे में बैठकर तैयारी करने वाले ही प्रशासनिक सेवा की परीक्षा पास कर सकते हैं।
शिमला से एचएएस अधिकारी बनने वाली बेटियों ने नौकरी करने के साथ-साथ एचएएस परीक्षा की तैयारी की और उसमें सफल रही हैं। पूरा हुआ प्रिया नागटा का सपना एचएएस परीक्षा में तीसरे स्थान पर रही प्रिया नागटा ने बताया कि प्रशासनिक सेवा उनका सपना था जो पूरा हो गया है। रोहड़ू निवासी प्रिया नागटा के पिता बलवंत सिंह कारोबारी जबकि माता गीता नागटा गृहिणी हैं। प्रिया नागटा मीडिया क्षेत्र से जुड़ी रही हैं।
प्रिया ने बताया कि उन्होंने चंडीगढ में टेस्ट सीरीज ज्वाइन की थी। मन लगाकर पढ़ना जरूरी है। मुझे मेरे माता पिता ने हमेशा प्रोत्साहित किया है। अध्यापकों का भी काफी सहयोग मिला है। मेरे परिवार से कोई भी इस क्षेत्र में नहीं है। यदि मैं एचएएस अधिकारी बन सकती हूं तो कोई भी इस परीक्षा को पास कर सकता है। लेकिन इसके लिए अपने लक्ष्य को पाने का जुनून होना चाहिए। यह जरूरी नहीं कि बंद कमरे में बैठने वाले ही एचएएस अधिकारी बन सकते हैं। आपको बस अन्य कार्यों के साथ साथ पढ़ाने के लिए बेहतर समय चुनना चाहिए। दिन में नौकरी, सुबह शाम पढ़ाई करती थीं स्वाति गुप्ता एचएएस की परीक्षा में सुन्नी निवासी स्वाति गुप्ता ने चौथे स्थान पर रही हैं।
स्वाति ने बताया कि वह आइटीबीपी में सेवाएं दे चुकी हैं। लेकिन किन्हीं कारणों से उन्हें यह नौकरी छोड़नी पड़ी। बाद में प्रदेश सरकार में वेटरनरी ऑफिसर के पद पर सेवाएं दे रही थीं। एचएएस अधिकारी बनना का श्रेय माता प्रोमिला गुप्ता, मासी पुष्पा गुप्ता और पिता भरत भूषण को देती हूं। उन्होंने बताया कि उनकी सारी पढ़ाई सरकारी स्कूल से हुई है। वह अपनी नौकरी के साथ साथ एचएएस की तैयारी भी कर रही थीं। सुबह और शाम ही पढ़ाई करती थी। दिन में अपनी नौकरी पर ध्यान देती थी। पूरा पूरा दिन बंद कमरे में बैठकर पढ़ने से बेहतर है कि पढ़ाई के साथ-साथ बाहर भी लोगों से मिलें। परीक्षा में लिखने के लिए कई बार आपके आसपास हो रही घटनाओं से भी काफी कुछ सीखने को मिलता है। उन्होंने अपने वरिष्ठ सहयोगियों और अध्यापकों का भी धन्यवाद किया है।